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यूरोप में राष्ट्रवाद सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर 2023 | Class 10th Social Science Europe Mein Rashtrawad Subjective Question Answer

Class 10th Social Science Subjective Question

Social Science Class 10th Question Answer :- यूरोप में राष्ट्रवाद ( Europe me Rashtravad) Subjective Question दोस्तों यहां पर मैट्रिक परीक्षा 2023 सामाजिक विज्ञान सोशल साइंस क्लास 10th का इतिहास का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर दिया गया है एवं इसमें यूरोप में राष्ट्रवाद का लघु उत्तरीय प्रश्न तथा यूरोप में राष्ट्रवाद का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न दिया गया है तो इसे आप लोग शुरू से लेकर अंत तक एक बार अवश्य पढ़ें और इस वेबसाइट पर आपको यूरोप में राष्ट्रवाद का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर भी मिल जाएगा।

यूरोप में राष्ट्रवाद ( Europe me Rashtravad) Subjective Question Answer 2023

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा करें।

उत्तर ⇒ गैरीबाल्डी ने अपने कर्मचारियों तथा स्वयंसेवकों की सशस्त्र सेना बनायी। उन्होंने इटली एवं नेपल्स पर आक्रमण कर वहाँ के जनता को अपना समर्थक बना लिया। उन्होंने यहाँ गणतंत्र की स्थापना कर विक्टर इमैनुएल को सत्ता सौंप दिया। वह अपनी सारी संपत्ती राष्ट्र को समर्पित कर दिया। इस प्रकार इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

2. 1848 ई० के फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे ?

उत्तर ⇒ लूई फिलिप एक उदारवादी एवं महत्वाकांक्षी शासक था। उन्होंने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए 1840 ई० में गीजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। उसके पास कोई भी सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था और न ही उसे विदेश नीति में सफलता हासिल हो रहा था। उसके शासनकाल में भूखमरी एवं बेरोजगारी व्याप्त होने लगी जिसके कारण 1848 ई० की क्रांति हुई।

3. जुलाई 1830 ई० की क्रांति का विवरण दें।

उत्तर ⇒ जुलाई 1830 ई० की क्रांति इस बात की सूचक थी कि देश में कट्टर राजसत्तावादी का प्रभाव कम हो रहा था। वास्तव में यह क्रांति मध्य वर्ग और लोकसंप्र सिद्धांत को पुनर्जिवित किया तथा वियना कांग्रेस के उद्देश्यों को निर्मूल सिद्ध कर दिया। इसका प्रभाव सम्पूर्ण । यूरोप पर पड़ा और राष्ट्रीयता तथा देशभक्ति की भाषा का प्रस्फटन कर राष्ट्रवाद का मार्ग प्रशस्त किया।

BSEB Class 10th सामाजिक विज्ञान ( इतिहास) यूरोप में राष्ट्रवाद Subjective Question 2023

4. जर्मनी के एकीकरण के लिए बिस्मार्क ने कौन-सी नीति अपनाई ? अथवा जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ बिस्मार्क का मानना था कि जर्मनी की समस्या का समाधान बौद्धिक भाषणों से नहीं, आदर्शवाद से नहीं, बहुमत के निर्णय से नहीं, वरन् प्रशा के नेतृत्व में “रक्त और लौह की नीति” से होगा। उन्होंने प्रशा की आर्थिक स्थिति में काफी सुधार किए। प्रशा में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू की गई। उन्होंने 1864 ई० में डेनमार्क को पराजित कर शेल्सविग पर अधिकार कर लिया। 1866 ई० में सेडोवा के युद्ध में ऑस्ट्रिया को पराजित कर जर्मन महासंघ की स्थापना की। तथा 1870 ई० में सेडान के युद्ध में फ्रांस को पराजित कर जर्मनी का एकीकरण किया।

5. यूरोप में राष्ट्रवाद फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ ?

उत्तर ⇒ यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना के विकास में फ्रांस की राज्यक्रांति एवं नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्पूर्ण योगदान दिया । नेपोलियन के अभियानों से यूरोप के कई राज्यों में नवयुग का संदेश पहुँचा । नेपोलियन ने जर्मनी एवं इटली के राज्यों को वास्तविक एवं राजनीतिक रूपरेखा प्रदान की जिससे इटली एवं जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस प्रकार यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट की अहम भूमिका थी।

6. विलियम–I के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था, कैसे ?

उत्तर ⇒ विलियम | राष्ट्रवादी विचारों का पोषक था। उसके सुधारों के कारण जर्मनी में औद्योगिक क्रांति की हवा तेज हो गयी। विलियम-| एकीकरण के उद्देश्य से बिस्मार्क को अपना चांसलर नियुक्त किया। बिस्मार्क का मानना था कि सैन्य उपाय से ही जर्मनी का एकीकरण संभव है। अतः उसने “रक्त और लौह” की नीति का अवलम्बन किया। अतः प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण संभव हुआ।
जिसमें विलियम-I का महत्वपुर्ण योगदान था।

सामाजिक विज्ञान ( इतिहास) पाठ -1 यूरोप में राष्ट्रवाद SUBJECTIVE QUESTION

7. वियना सम्मेलन क्यों बुलाया गया ? इसकी क्या उपलब्धियाँ थी ?

उत्तर ⇒ 1815 ई० में नेपोलियन के पराजय के बाद ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें विजयी राष्ट्रों- ब्रिटेन, रूस, प्रशा और ऑस्ट्रिया के प्रतिनिधियों ने मुख्य रूप से भाग लिया। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य था कि नेपोलियन द्वारा यूरोपीय राजनीतिक व्यवस्था में लाए गए परिवर्तन को समाप्त कर उसकी पुनर्स्थापना करना था। वियना सम्मेलन की अध्यक्षता ऑस्ट्रिया की प्रतिक्रियावादी चांसलर मेटरनिख ने की। वियना की संधि द्वारा यूरोप के राजनीतिक मानचित्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किया गया। मेटरनिख व्यवस्था के अनुसार यूरोप में पुरातन व्यवस्था पुनः स्थापित की गई।

8. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थी ?

उत्तर ⇒ जर्मनी पूरी तरह से विखंडित राज्य था जिसमें लगभग 300 छोटे-बड़े राज्य थे। उनमें धार्मिक, राजनीतिक तथा सामाजिक विषमताएँ भी पर्याप्त थीं। वहाँ प्रशा शक्तिशाली राज्य था एवं अपना प्रभाव बनाए हुए था। उनमें जर्मन राष्ट्रवाद की भावना का अभाव था, जिसके कारण एकीकरण का मुद्दा उनके समक्ष नहीं था।

सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 यूरोप में राष्ट्रवाद दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. इटली के एकीकरण में मेजिनी, काबूर और गैरीबाल्डी के योगदान का बतावें।

उत्तर ⇒ मेजिनी :- मेजिनी साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। 1820ई० में राष्ट्रवादियों ने एक गुप्त दल ‘काबनरी’ की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य छापामार युद्ध द्वारा राजतंत्र को समाप्त कर गणराज्य की स्थापना करना था। कार्बोनरी के असफल होने पर मेजिनी ने अनुभव किया कि इटली का एकीकरण कार्बोनरी की योजना के अनुसार नहीं हो सकता है। 1831 में उसने ‘युवा इटली’ नामक संस्था की स्थापना की जिसने नवीन इटली के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। ‘युवा शक्ति’ में मेजिनी का अटूट विश्वास था । युवा इटली संस्था का मुख्य उद्देश्य था—इटली की एकता एवं स्वतंत्रता की प्राप्ति तथा स्वतंत्रता, समानता और जन-कल्याण के सिद्धांत पर आधारित राज्य की स्थापना करना । मेजिनी के दिमाग में संयुक्त इटली का स्वरूप जितना स्पष्ट और निश्चित था उतना किसी अन्य के दिमाग में नहीं था।

मेजिनी संपूर्ण इटली का एकीकरण कर उसे गणराज्य बनाना चाहता था जबकि सार्डिनिया-पिडर्मोट का शासक चार्ल्स एल्बर्ट उसके नेतृत्व में सभी प्रांतों का विलय करना चाहता था। इसके अलावे पोप भी इटली को धर्मराज्य बनाने का पक्षधर था। विचारों को टकराहट के कारण इटली के एकीकरण का मार्ग अवरुद्ध हो गया था। कालांतर में आस्ट्रिया ने इटली के कुछ भागों पर आक्रमण किया जिसमें सार्डिनिया का शासक चार्ल्स एल्बर्ट पराजित हुआ। आस्ट्रिया ने इटली में जनवादी आंदोलन को कुचल दिया, मेजिनी की पुन: हार हुई और वह इटली से पलायन कर गया।

काउंट काबूर – काबूर एक सफल कूटनीतिज्ञ एवं राष्ट्रवादी था । वास्तव में काबूर के बिना मेजिनी का आदर्शवाद और गैरीबाल्डी की वीरता निरर्थक होती । काबर ने इन दोनों के विचारों में सामंजस्य स्थापित किया ।

काबुर यह जानता था कि —

(i) इटली का एकीकरण सार्डिनिया-पिडमौंट के नेतृत्व में ही संभव हो सकता है।

(ii) एकीकरण के लिए आवश्यक है कि इटली के राज्यों को आस्ट्रिया से मुक्त कराया जाए।

(iii) आस्ट्रिया से मुक्ति बिना विदेशी सहायता के संभव नहीं थी।
अतः, आस्ट्रिया को पराजित करने के लिए कार ने फ्रांस से मित्रता कर ली।

1853-54 ई० के क्रीमिया युद्ध में फ्रांस को मदद किया जिसका प्रत्यक्ष लाभ यु के बाद पेरिस के शांति सम्मेलन में मिला । इस सम्मेलन में फ्रांस और आस्ट्रिया के साथ पिडमौंट को भी बुलाया गया। यह काबुर की सफल कूटनीति का परिणाम था। इस सम्मेलन में कार ने इटली में आस्ट्रिया के हस्तक्षेप को गैर कानूनी घोषित किया। काबूर ने इटली की समस्या को पूरे यूरोप की समस्या बना दिया ।
काबूर ने फांस के शासक नेपोलियन-।।। से एक संधि की जिसमें यह तय किया गया कि

(i) फ्रांस आस्ट्रिया के खिलाफ पिङमाउंट को सैन्य समर्थन देगा तथा इटली के प्रांत नीस और सेवाय फ्रांस को प्राप्त होगा तथा ।

(ii) फ्रांस ने कार को यह भी आश्वासन दिलाया कि यदि उत्तर और मुख्य इटली के राज्यों में जनमत संग्रह के आधार पर पिडमोंट में मिलाया जाता है तो फ्रांस इसका विरोध नहीं करेगा।
काबूर के इस कार्य की बहुत आलोचना हुई, लेकिन यदि दो प्रांतों को खोकर भी उत्तरी और मध्य इटली का एकीकरण हो जाता तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। 1859-60 में आस्ट्रिया और पिडर्मोट में सीमा संबंधी विवाद के कारण युद्ध शुरू हो गया । इटली ने फ्रांसीसी सेना के समर्थन से आस्ट्रिया को पराजित किया । आस्ट्रिया के अधीन लोम्बार्ड पर पिडमट का अधिकार हो गया । नेपोलियन-।।। इटालियन राष्ट्रवाद से घबराने लगा, अत: वेनेशिया पर विजय प्राप्त करने के बाद। नेपोलियन ने अपनी सेना वापस बुला ली।

युद्ध से अलग होने के कारण नेपोलियन-III ने आस्ट्रिया और पिडमट के बीच मध्यस्थता कराई जो विलाका को संधि के नाम से जाना जाता है । इस संधि के अनुसार लोम्बार्डी पर पिडमट का तथा वेनेशिया पर आस्ट्रिया का अधिकार माना गया । लोम्बार्डी पर अधिकार हो जाने के बाद काबूर का उद्देश्य मध्य एवं उत्तरी इटली का एकीकरण करना था। मध्य एवं उत्तरी प्रांतों की जनता पिडमौंट के साथ थी, इसलिए काबूर ने इन प्रांतों में जनमत संग्रह कराकर उसे पिडमौंट के साथ मिला लिया। इस प्रकार 1800-61 लुक कावर ने सिर्फ रोम को छोडकर उत्तर तथा मध्य प्रांतों (पारमा, मोडेना, टस्कनी, पियाकेजा, बोलोग्ना आदि) का एकीकरण हो चुका था तथा इसका शासक विक्टर इमैनुएल को माना गया ।।

गैरीबाल्डी :-  गैरीबाल्डी ने सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के प्रांतों का एकीकरण कर वहाँ गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया। गैरीबाल्डी ने सिसली और नेपल्स पर आक्रमण किया। इन प्रांतों को अधिकांश जनता बू राजवंश के निरंकुश शासन से तंग होकर गैरीबाल्डी का समर्थक बन गई थी । गैरीबाल्डी।ने यहाँ विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में सत्ता
सँभाली । गैरीबाल्डी के दक्षिण अभियान को काबूर ने।भी समर्थन किया। 1862 ई. में गैरीबाल्टी ने रोम पर आक्रमण की योजना बनाई। कार में गैरीबाल्डी के इस अभियान का विरोध करते हुए रोम की रक्षा के लिए पिडभौर की सेना भेज दी। अभियान के बीच में ही गैरीबाल्डी की कार से भेंट हो गई तथा रोम अभियान वहीं खत्म हो गया। दक्षिणी इटली के जीते गए क्षेत्रों को गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल को सौंप दिया। इस प्रकार, शेष जर्मनी का एकीकरण 1871 में विक्टर इमैनुएल द्वितीय के नेतृत्व में पूरा हुआ।

2. राष्ट्रवाद के उदय के कारणों एवं प्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ राष्ट्रवाद आधुनिक विश्व की राजनीतिक जागृति का प्रतिफल है। यह एक ऐसी भावना है जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहक बनती है। राष्ट्रवाद की भावना का बीजारोपण यूरोप में पुनर्जागरण के काल में ही हो चुका था। परन्तु 1789 ई० की क्रांति से यह उन्नत रूप से प्रकट हुई। फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीति को अखबारों, सड़कों और सर्वसाधारण की वस्तु बना दिया। यूरोप के कई राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नवयुग का संदेश पहुँचा । नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनीतिक रूपरेखा प्रदान की, जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
राष्ट्रवाद ने न सिर्फ दो बड़े राज्यों का उदय किया बल्कि अन्य यूरोपीय राष्ट्रों में भी इसके कारण राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हुए। हंगरी, बोहेमिया तथा यूनान में स्वतंत्रता आंदोलन इसी राष्ट्रवाद का परिणाम था। इसी के प्रभाव ने ओटोमन साम्राज्य के पतन की कहानी को अंतिम रूप दिया । बालकन क्षेत्र में राष्ट्रवाद के प्रसार ने स्लाव जाति को संगठित कर सर्बिया को जन्म दिया। इस प्रकार यूरोप में जन्मी राष्ट्रीयता की भावना ने प्रथमतः यरोप को एवं अंततः विश्व को प्रभावित किया।

3. इटली–जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका क्या थी ?

उत्तर ⇒ ऑस्ट्रिया, इटली और जर्मनी के एकीकरण का सबसे बड़ा विरोधी था। ऑस्ट्रिया के हस्तक्षेप से इटली में जनवादी आंदोलन को कुचल दिया गया। ऑस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिख पुरातन व्यवस्था का समर्थक था । ऑस्ट्रिया को पराजित किए बिना इटली और जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं था। अतएव काबूर ने ऑस्ट्रिया को पराजित करने के लिए फ्रांस के साथ मिलकर क्रिमिया युद्ध में भाग लिया और फ्रांस का राजनीतिक समर्थन प्राप्त किया।
जर्मनी में राष्ट्रीय आन्दोलन में शिक्षण संस्थानों, बुद्धिजीवियों, किसानों, कलाकारों का महत्पूर्ण योगदान था। यद्यपि ऑस्ट्रिया के चांसलर मेटरनिख ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए दमनकारी कानन चार्ल्सवाद के आदेश को जारी किया परन्तु जर्मनी में राष्ट्रीयता की प्रबल धारा प्रवाहित हो रही थी, जिसने एकीकरण के काम को आगे बढ़ाने में सहायता प्रदान की। 1866 ई० में आस्ट्रिया ने प्रशा के खिलाफ सेडोवा में युद्ध की घोषणा कर दी और उसमें वह बुरी तरह पराजित हुआ। इस प्रकार ऑस्ट्रिया का जर्मन क्षेत्रों से प्रभाव समाप्त हो गया और प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी का एकीकरण सम्पन्न हुआ, जिसमें बिस्मार्क की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

4. यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें।

उत्तर ⇒ फ्रांसीसी क्रांति से यूनानियों में राष्ट्रीयता की भावना की लहर जागी। यूनान के ओडेसा नामक स्थान पर हितेरिया फिलाइक संस्था की स्थापना की। इसका उद्देश्य तुर्की शासन को यूनान से निष्कासित कर उसे स्वतंत्र बनाना था। इंगलैण्ड का महान कवि लार्ड वायरन यूनानियों की स्वतंत्रता के लिए यूनान में ही शहीद हो गया। इससे यूनान की स्वतंत्रता के लिए सारे यूनानी स्वतंत्रता के पक्षधर थे। यूनानी स्थिति तब विस्फोटक हो गया जब तुर्की शासन द्वारा यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल लोगों को बुरी तरह कुचलना शुरू किया गया। रूस का नया जार निकोलस ने खुलकर यूनानियों का समर्थन किया। अप्रैल 1826 ई० में ग्रेट ब्रिटेन और रूस में समझौता हुआ कि वे तुर्की-युनान विवाद में मध्यस्थता करेंगे। 1827 ई० में लंदन में एक सम्मेलन हुआ जिसमें इंगलैंड, फ्रांस और रूस ने मिलकर तुर्की के खिलाफ यूनान के समर्थन में संयुक्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया। इस प्रकार तीनों देशों की संयुक्त सेना नावारिनों की खाड़ी में एकत्रित हुए। तुर्की के समर्थन में सिर्फ मिस्र की सेना आयी। युद्ध में मिस्र तथा तुर्की बुरी तरह पराजित हुई तथा 1829 ई० में एड्रियानोपुल का संधि हुई, जिसके तहत तुर्की की नाम मात्र की प्रभुता में यूनान की स्वायत्ता देने की बात हुई। 1832 ई० में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया। बबेरिया के शासक ओटो को स्वतंत्र यूनान का राजा घोषित किया गया।

यूरोप में राष्ट्रवाद सब्जेक्टिव क्वेश्चन 2023

5. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ बिस्मार्क जर्मन डायट में प्रशा का प्रतिनिधि था और अपनी सफल कूटनीति का लगातार परिचय देता आ रहा था। बिस्मार्क ने जर्मन एकीकरण के लिए “रक्त और लौह” नीति को अपनाया। उसने अपने देश में अनिवार्य सैन्य सेवा लागू कर दी। उसने अपनी नीतियों से प्रशा का सुदृढ़ीकरण किया। उसने आस्ट्रिया के साथ मिलकर 1864 ई० में श्लेशबिग और हॉलेस्टिन राज्यों के मुद्दे को लेकर डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया। जीत के बाद श्लेशबिग प्रशा के अधीन हो गया और हॉलेस्टीन ऑस्ट्रिया को प्राप्त हुआ। 1866 ई० में ऑस्ट्रिया ने प्रशा के खिलाफ सेडोवा में युद्ध की घोषणा कर दी और युद्ध में ऑस्ट्रिया बुरी तरह पराजित हुआ। जर्मन क्षेत्र से ऑस्ट्रिया का प्रभाव खत्म हो गया और जर्मन एकीकरण का लगभग दो तिहाई कार्य पूरा हो गया।
पुन: 19 जून 1870 ई० को फ्रांस के शासक नेपोलियन ने प्रशा के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और सेडान की लड़ाई में फ्रांसीसियों की जबरदस्त हार हुई। 10 मई 1871 ई० को फ्रैंकफर्ट की संधि के द्वारा दोनों राष्ट्र के बीच शांति स्थापित हुई। इस प्रकार सेडान के युद्ध में ही एक महाशक्ति के पतन पर दूसरी महाशक्ति जर्मनी का उदय हुआ। अन्ततः जर्मन 1871 ई० तक एक एकीकृत राष्ट्र के रूप में यूरोप के राजनीतिक मानचित्र में स्थान पाया।


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