Social Science Class 10th Question Answer :- व्यापार और भूमंडलीकरण ( Vyapar avm bhumandalikaran) Subjective Question दोस्तों यहां पर मैट्रिक परीक्षा 2023 सामाजिक विज्ञान सोशल साइंस क्लास 10th का इतिहास का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर दिया गया है एवं इसमें व्यापार और भूमंडलीकरण का लघु उत्तरीय प्रश्न तथा व्यापार और भूमंडलीकरण का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न दिया गया है तो इसे आप लोग शुरू से लेकर अंत तक एक बार अवश्य पढ़ें और इस वेबसाइट पर आपको व्यापार और भूमंडलीकरण का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर भी मिल जाएगा।
व्यापार और भूमंडलीकरण ( Vyapar avm bhumandalikaran) Subjective Question Answer 2023
अति लघु उत्तरीय प्रश्न |
1. औद्योगिक क्रांति क्या है ?
उत्तर ⇒ जब वस्तुओं का उत्पादन घरेलू व कुटीर उद्योग के स्थान पर मशीनों के द्वारा होने लगा तो उसे औद्योगिक क्रांति की संज्ञा दी गई। औद्योगिक क्रांति की शुरूआत सर्वप्रथम इंग्लैण्ड से हुई।
2. विश्व बाजार किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ उस तरह के बाजारों को हम विश्व बाजार कहेंगे जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएँ आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हो। जैसे- भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई।
3. भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ जीवन के सभी क्षेत्रों का एक अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप, जिसमें दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया है- सम्पूर्ण विश्व एक बड़े गाँव के रूप में परिवर्तन हो गया।
Vyapar avm bhumandalikaran Subjective Question Answer
4. आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ अर्थ तंत्र में होने वाली ऐसी स्थिति जब उसके तीनों आधार कृषि, उद्योग और वाणिज्य व्यापार का विकास अवरूद्ध हो जाए। लाखों लोग बेरोजगार हो जाए, बैंकों और कंपनियों का दिवाला निकल जाय तथा वस्तु और मुद्रा दोनों की बाजार में कोई कीमत नहीं रहे।
5. बहुराष्ट्रीय कंपनी क्या हैं ?
उत्तर ⇒ कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करने वाले कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है। 1920 के बाद से इस तरह की कंपनियों का उत्कर्ष हुआ जो द्वितीय महायुद्ध के बाद काफी बढ़ा।
6. ब्रेटन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर ⇒ इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य विश्व बैंक के द्वारा विकसित देशों को पुनर्निमाण के लिए कर्ज के रूप में पूँजी उपलब्ध कराना था।
सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 व्यापार और भूमंडलीकरण लघु उत्तरीय प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्न |
1. विश्व बाजार के स्वरूप को समझाइए ।
उत्तर ⇒ औद्योगिक क्रांति के फैलाव के साथ साथ बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता गया। यूरोपीय देशों के उद्योगपतियों ने औद्योगिक क्रांति से प्राप्त भारी लाभ को अपने शासित क्षेत्र में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों जैसे-रेल, खदान, चाय बगान, रबर, कपास इत्यादि के उत्पादन में बड़ी मात्रा में पूँजी निवेश किया। इस प्रकार इन प्रक्रियाओं ने यूरोपीय केन्द्रित एक विश्वव्यापी अर्थतंत्र को जन्म दिया। इसी अर्थतन्त्र को हम विश्व बाजार की संज्ञा देते हैं ।
2. 1929 ई० के आर्थिक संकट के कारणों को संक्षेप में स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ 1929 ई० के आर्थिक संकट का बुनियादी कारण स्वयं इस अर्थव्यवस्था के स्वरूप में समाहित था। प्रथम विश्वयुद्ध के चार वर्षों में यूरोप को छोड़कर बाजार आधारित अर्थव्यवस्था का विस्तार होता चला गया, उसके मुनाफे बढ़ते चले गए। दूसरी ओर अधिकांश लोग गरीबी और अभाव में पिसते रहे। कृषि में भी अति उत्पादन की समस्या बनी हुई थी। अति उत्पादन के कारण कीमतें काफी गिर गई जिससे किसानों की आय घट गई। दूसरी ओर अमेरिका द्वारा यूरोपीय देशों को दिए गए ऋण की वापसी की मांग ने आर्थिक संकट को और गहरा दिया।
3. औद्योगिक क्रांति ने किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया ?
उत्तर ⇒ औद्योगिक क्रांति ने बाजार को तमाम आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बना दिया। इसी के साथ जैसे-जैसे औद्योगिक क्रांति का विकास हुआ बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता चला गया और 20वीं शताब्दी के पहले तक तो इसने सभी महादेशों में अपनी उपस्थिति कायम कर ली। उत्पादन के बढ़ते आकार के हिसाब से कच्चे माल की आवश्यकता हुई और तब इंग्लैण्ड ने उत्तरी अमेरिका, एशिया (भारत) और अफ्रीका की ओर अपना ध्यान खींचा। वहाँ उसे पर्याप्त मात्रा में कच्चा माल और बना बनाया एक बाजार भी मिला। मैनचेस्टर, लीवरपुल, लंदन इत्यादि बड़े-बड़े नगरों का उदय इसी का परिणाम था। विश्व बाजार के इस स्वरूप का आधार कपड़ा उद्योग था।
4. 1950 के बाद विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निमाण के लिए किए जाने वाले प्रयासों पर प्रकाश डालें।
उत्तर ⇒ द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद उससे उत्पन्न समस्या को हल करने तथा व्यापक तबाही से निपटने के लिए पुनर्निर्माण का कार्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आरंभ हुआ। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपना यह सारा कार्य अपने विभिन्न अनुसंगी संस्थाओं के माध्यम से करना आरंभ किया। अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय सहयोग व स्थिरता के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष व विश्व बैंक की स्थापना की गई। इन संस्थाओं पर संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभाव कायम है।
सामाजिक विज्ञान ( इतिहास) पाठ -1 यूरोप में राष्ट्रवाद SUBJECTIVE QUESTION
5. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ भूमंडलीकरण के भारत पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। 1991 ई० की आर्थिक नीति की घोषणा के बाद भारत में पूँजी निवेश और व्यापार में काफी इजाफा हुआ है। पूँजी निवेश के कारण देश में आर्थिक विकास की गति तीव्र हुई है। भूमंडलीकरण के कारण देश में सेवा क्षेत्र का काफी गति से विस्तार हुआ है, जिससे जीविकोपार्जन के कई नए क्षेत्र खुले हैं। सेवा क्षेत्र के अन्तर्गत बैंकिंग, बीमा, संचार, व्यापार आदि क्षेत्र में भारत आज विश्व का अग्रणी देश है। आज भारतीय कंपनियाँ विश्व स्तर पर अपना दबदबा कायम कर रही हैं।
6. विश्व बाजार के लाभ एवं हानि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर ⇒ विश्व बाजार ने व्यापार और उद्योग को तीव्र गति से बढ़ाया। औपनिवेशिक देशों में रेलमार्ग, सड़क, बन्दरगाह, खनन, बागवानी जैसे संरचनात्मक क्षेत्र का विकास हुआ। कृषि उत्पादन के क्षेत्र में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ है। विश्व बाजार ने नवीन तकनीक को जन्म दिया। इन तकनीकों में रेलवे, वाष्प इंजन, भाप का जहाज, टेलीग्राफ आदि महत्वपूर्ण रहा।
विश्व बाजार के कारण एशिया और अफ्रीका जैसे उपनिवेशों की अपनी आत्मनिर्भरता वाली अर्थव्यवस्था नष्ट हो गई। इन देशों में विश्व बाजार ने विषमता, भूखमरी, गरीबी जैसे मानवीय संकट कोजन्म दिया।
7. भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान (भूमिका) को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ भूमंडलीकरण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की एक प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करती है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का महत्वपूर्ण योगदान है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने व्यापार, निवेश व तकनीकी प्रवाह द्वारा विश्व के कोने-कोने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इन कंपनियों के माध्यम से लोगों की जीविकोपार्जन के कई नवीन अवसर प्राप्त हुए हैं।
सामाजिक विज्ञान कक्षा 10 व्यापार और भूमंडलीकरण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न |
1. 1929 ई० के आर्थिक संकट के कारण और परिणामों को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ 1929 के आर्थिक संकट के कारण-1929 के आर्थिक संकट के महत्त्वपूर्ण कारण निम्नलिखित हैं-
(i) कृषि के क्षेत्र में अति उत्पादन के कारण विश्व बाजारों में खाद्यान्नों की आपूर्ति आवश्यकता से अधिक हो गई। इससे अनाज के मूल्य में कमी आई तथा उनका खरीददार नहीं रहा।
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(ii) गरीबी और बेरोजगारी से उपभोक्ताओं की क्रय-क्षमता घट गई थी, अत: विश्व बाजार पर आधारित व्यवस्था लड़खड़ा गई।
(iii) अमेरिकी पैंजी के प्रवाह में कमी आर्थिक संकट का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण था। अमेरिकी अर्थव्यवस्था का संकटग्रस्त हो जाना विश्व में महामंदी की स्थिति ला दी।
1929 के आर्थिक संकट के परिणाम – आर्थिक महामंदी का विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा। यूरोपीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। यूरोप के अनेक बैंक रातोंरात बंद हो गए। अनेक देशों की मुद्रा का अवमूल्यन हो गया। अनाज और कच्चे माल की कीमतें घटने लगी। व्यापक विश्व बाजार का स्थान संकुचित आर्थिक राष्ट्रवाद ने ले लिया।
2. भूमंडलीकरण के कारण आमलोगों के जीवन में आने वाले परिवर्तन को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ वर्तमान परिदृश्य में भूमंडलीकरण के प्रभाव को आर्थिक क्षेत्र में अधिक स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुक्त बाजार, मुक्त व्यापार, खुली प्रतियोगिता, बहुराष्ट्रीय निगमों का प्रसार, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र का निजीकरण उक्त आर्थिक भूमंडलीकरण के मुख्य तत्व हैं।
भूमंडलीकरण का प्रभाव आम जीवन पर स्पष्ट दीख रहा है। भूमंडलीकरण के कारण जीविकोपार्जन के क्षेत्र में जो बदलाव आया है उसकी झलक शहर, कस्बा और गाँव में सभी जगह दिखाई पड़ रहा है। वर्तमान दौड़ में 1991 ई० के बाद सम्पूर्ण विश्व में सेवा क्षेत्र का विस्तार तीव्र गति से हुआ है जिससे जीविकोपार्जन के कई नए क्षेत्र खुले हैं। सेवा क्षेत्र से तात्पर्य वैसी आर्थिक गतिविधियों से है जिसमें लोगों से विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ प्रदान करने के बदले पैसा लिया जाता है जैसे- बैंक की सुविधा बैंक और बीमा क्षेत्र में की जाने वाली सुविधा दूर संचार और सूचना तकनीक (मोबाईल, फोन, कम्प्यूटर, इन्टरनेट) होटल और रेस्टोरेंट आदि । उपर्युक्त वर्णित सभी क्षेत्र भूमंडलीकरण के दौरान काफी तेजी से फैला है जिसमें लोगों को जीविकोपार्जन के कई नवीन अवसर मिले हैं। आर्थिक भूमंडलीकरण ने हमारी आवश्यकताओं के दायरे को उसी अनुरूप में बढ़ाया है। उसकी पूर्ती हेतु नए-नए सेवाओं का उदय हो रहा है, जिससे जुड़कर लाखों लोग अपनी जीविका चला रहे हैं। इस प्रक्रिया ने लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा किया है।
3. 1945 से 1960 के बीच विश्वस्तर पर विकसित होने वाले आर्थिक संबंधों पर प्रकाश डालें।
उत्तर ⇒ 1945 से 1960 के बीच विश्व स्तर पर विकसित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों को तीन क्षेत्रों में विभाजित करके देखने का प्रयास किया जा सकता है। प्रथम, 1945 के बाद विश्व में दो भिन्न अर्थव्यवस्था का प्रभाव बढ़ा और दोनों ने विश्वस्तर पर अपने प्रभावों तथा नीतियों को बढ़ाने का प्रयास किया। संपूर्ण विश्व मुख्यतः दो गुटों में विभाजित हो गया। एक साम्यवादी अर्थतंत्र वाले देशों का गुट जिसका नेतृत्व सोवियत रूस कर रहा था, जिसकी विशेषता थी राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था और दूसरा, पूँजीवादी अर्थतंत्र वाले देशों का गुट जिसकी विशेषता थी बाजार और मुनाफा आधारित आर्थिक व्यवस्था जिसका नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था। दूसरा क्षेत्र, पूँजीवादी अर्थतंत्र वाले देशों के बीच बनने वाले अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के विकास के अंतर्गत आता है। यह क्षेत्र पूर्णत: संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा संचालित हो रहा था। इसका प्रमुख उद्देश्य साम्यवादी अर्थतंत्र के विचार के बढ़ते प्रभाव को रोकना था। संयुक्त राज्य अमेरिका ने विश्व के दो क्षेत्रों दक्षिण अमेरिकी और मध्य तथा पश्चिम एशिया के तेल संपदा संपन्न देशों (इराक, इरान, सऊदी अरब, जार्डन, यमन, सीरिया, लेबनान) में जबरन अपनी नीतियों को थोपने का काम किया। वस्तुत: अमेरिका यह जानता था कि बाजार आधारित व्यवस्था के आधुनिक रूप की रीढ़ तेल और गैस नामक ऊर्जा स्रोत है, जिसकी कमी उसके सहयोगी अधिकांश पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वाले देशों में थी। एक तीसरा क्षेत्र भी था जहाँ नवीन आर्थिक संबंध विकसित हुआ था, वह क्षेत्र था एशिया और अफ्रीका के नवस्वतंत्र देशों का। इन देशों पर तत्कालीन विश्व के दोनों महत्त्वपूर्ण आर्थिक शक्ति अमेरिका और सोवियत रूस अपना प्रभाव स्थापित करना चाहते थे। चूँकि ये सभी नवस्वतंत्र देश लंबे औपनिवेशिक शासन के दौरान आर्थिक रूप से बिलकुल विपन्न हो गए थे और अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए उन्हें इन दोनों देशों से आर्थिक और राजनीतिक दोनों प्रकार के सहयोग चाहिए था।
सामाजिक विज्ञान ( इतिहास) पाठ -1 यूरोप में राष्ट्रवाद SUBJECTIVE QUESTION
4. दो महायुद्धों के बीच और 1945 ई० के बाद औपनिवेशिक देशों में होने वाले राष्ट्रीय आन्दोलनों पर एक निबंध लिखें।
उत्तर ⇒ प्रथम विश्वयुद्ध ने मानवीय सभ्यता को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया। दो विश्वयुद्धों के दौरान औपनिवेशिक देशों के अर्थतंत्र का काफी विकास और फैलाव हुआ। भारत में उस समय कपड़ा, जूट, खनन, आदि क्षेत्रों का विकास हुआ। महामंदी ने भारतीय व्यापार को प्रभावित किया। 1928 से 1934 ई० के बीच आयात-निर्यात लगभग आधी रह गई। कृषि उत्पादों की कीमत यहाँ काफी गिर गई। शहरी लोगों की अपेक्षा गाँव के लोग इस मंदी से ज्यादा प्रभावित हुए। इस काल में भारत और अन्य औपनिवेशिक देशों में राष्ट्रीय चेतना का प्रसार निर्णायक रूप से हुआ क्योंकि प्रथम विश्वयुद्ध के बाद उन्हें आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ा। दूसरे, उस समय शासक देशों द्वारा किया गया स्वराज का वादा पूरा नहीं किया गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एशिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों में एक नवीन आर्थिक संघ विकसित हुआ। 1947 ई० में भारत की आजादी के बाद इन देशों में स्वतंत्रता की एक लहर पैदा हो गई और अगले 15 वर्षों में सभी देश लगभग आजाद हो गए ।
5. 1919 से 1945 के बीच विकसित होने वाले राजनैतिक और आर्थिक, संबंधों पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर ⇒ युद्धोत्तर आर्थिक व्यवस्था और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को दो चरणों में बाँटकर देखा जा सकता है
(i) 1920 से 1929 तक का काल तथा (ii) 1929 से द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति अथवा 1945 तक का काल। इस समय के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने में आर्थिक कारणों का महत्त्वपूर्ण योगदान था।
(i) 1920 से 1929 तक का काल सामान्यतः आर्थिक समुत्थान एवं विकास का काल था। प्रथम महायुद्ध के बाद विश्व पर से यूरोप का प्रभाव क्षीण हो गया। हालाँकि एशियाई-अफ्रीकी उपनिवेशों पर उसकी पकड़ यथास्थिति बनी रही। युद्ध की समाप्ति के तत्काल बाद का दो वर्ष आर्थिक संकट का काल था। इस समय उत्पादन और माँग में कमी आई, बेरोजगारी बढ़ी जिससे औद्योगिक इकाइयों में श्रमिकों के हड़ताल होने लगे। 1922 के बाद के वर्षों में स्थिति में बदलाव आने लगा। नये तकनीक की सहायता से औद्योगिक विकास ने गति पकडी जिससे उत्पादन बढ़ा तथा उपभोक्ता वर्ग का भी विकास हुआ।
(ii) 1929-1945 इस चरण में अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों का विकास विश्वव्यापी आर्थिक महामंदी के प्रभावों को समाप्त करने अथवा उन्हें नियंत्रित करने के उद्देश्य से हुआ। आर्थिक महामंदी का आरंभ अमेरिका से हुआ था। अतः मंदी के प्रभाव को नियंत्रित करने का प्रयास वहीं से आरंभ हुआ। 1932 में फ्रेंकलीन डी० रूजवेल्ट अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। मंदी से निबटने के लिए रूजवेल्ट ने नई आर्थिक नीति अपनाई जिसे न्यू डील का नाम दिया गया। अमेरिका के समान यूरोपीय राष्ट्रों ने भी महामंदी के प्रभाव से बाहर निकलने एवं अर्थव्यवस्था को विकसित करने का प्रयास किया। इसके लिए यूरोपीय राष्ट्रों की सरकारों ने कड़ा मुद्रा नियंत्रण स्थापित किया। पूर्वी यूरोपीय राष्ट्रों ने 1932 में ओटावा सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें आयात-निर्यात को संतुलित करने का प्रयास किया गया।
- Class 10 Social Science All Chapter VVI Guess Question Paper 2023
S.N | Social Science (सामाजिक विज्ञान) 📒 |
1. | History (इतिहास) Guess Paper |
2. | Geography (भूगोल) Guess Paper |
3. | Economics (अर्थ-शास्त्र) Guess Paper |
4. | Political Science (राजनितिक विज्ञानं) Guess Paper |
5. | Disaster Management (आपदा प्रबंधन) Guess Paper |
10th Class Social Science Subjective Question Answer : बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2023 इतिहास का लघु उत्तरीय प्रश्न और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर नीचे दिया गया है दिए गए लिंक पर क्लिक करके लघु उत्तरीय प्रश्न और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न पढ़ सकते हैं । कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान सब्जेक्टिव क्वेश्चन 2023