दोस्तों यहां पर आपको कक्षा दसवीं हिंदी गोधूलि भाग 2 बिहार बोर्ड के लिए श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ का सब्जेक्टिव प्रश्न दिया गया है। जो मैट्रिक परीक्षा 2023 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।और यहाँ पर Shram Vibhajan Aur Jati Pratha का Objective Question Answer दिया गया है।
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श्रम विभाजन और जाति प्रथा Subjective Question Answer 2023
Q1. लेखक किस विडंबना की बात करते हैं ? विडंबना का स्वरूप क्या है ?
उत्तर ⇒ बाबा साहेब समाज में व्याप्त उस विडंबना की बात करते है जो समाज में जाति-प्रथा के रूप में पैर जमाए हुए है। समाज में श्रम का विभाजन जाति के आधार पर है जो ऊँच-नीच का भाव पैदा करता है। समाज में श्रम के आधार पर वर्ण-व्यवस्था को स्थाई कर दिया है, यही विडम्बना का स्वरूप है।
Q2. जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं ?
उत्तर ⇒जातिवाद के पोषक तत्वों का तर्क है कि आधुनिक सभ्य समाज में कार्य-कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक माना गया है और जाति-प्रथा श्रम विभाजन का दूसरा रूप है।
Q3. जातिवाद के पक्ष में दिए गए तों पर लेखक की प्रमुख आपत्तियाँ क्या हैं ?
उत्तर ⇒जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्कों पर लेखक का विचार है कि जाति-प्रथा श्रम विभाजन का उचित विभाजन नहीं क्योंकि यह श्रम के साथ श्रमिकों को भी विभाजित करता है। यह पेशे को जन्मजात बना देता है और व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार कार्य का चयन नहीं कर सकता। अतः यह विभाजन अनुचित है।
Q4. जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती ?
उत्तर ⇒ जाति-प्रथा के आधार पर श्रम विभाजन सर्वथा अनुचित है, क्योंकि यहाँ श्रम का निर्धारण रुचि या क्षमता के अनुसार न करके माँ के गर्भ में ही कर दिया जाता है। अकुशलता और अरुचिपूर्ण होने के कारण यह निर्धारण मनुष्य को गरीबी और
अकर्मण्यता की ओर अग्रसर करता है।
Q5. जातिप्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है ?
उत्तर ⇒भारत में श्रम विभाजन का आधार जाति है। इस जातिगत विभाजन के आधार पर जो व्यक्ति जिस कार्य को कर रहा है, वह मृत्युपर्यन्त उस कार्य को करेगा, चाहे उसकी रुचि हो अथवा न हो।
श्रम विभाजन और जाति प्रथा प्रश्न उत्तर 2023
Q6. लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों ?
उत्तर ⇒भीमराव अम्बेडकर उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या जाति-प्रथा को स्वीकार करते हैं, क्योंकि इस जाति-प्रथा के फलस्वरूप व्यक्ति को वो कार्य भी करने पड़ते हैं, जिनके प्रति उसकी रुचि नहीं होती है।
Q7. लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है ?
उत्तर ⇒ लेखक ने पाठ में ‘विभिन्न आर्थिक और सामाजिक पहलुओं से जाति प्रथा को हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है। जाति प्रथा की वजह से समाज में भेद-भाव पैदा होता है। आर्थिक स्तर पर पेशा चुनने की आजादी न होने पर उसे कितनी भी हानि हो लेकिन पेशा नहीं बदल सकता है। स्वयं श्रम को चुनने की आजादी न होने की वजह से व्यक्ति अपनी रुचि से पेशा नहीं चुन सकता है।’ जीवन भर उसे रुचि न होने पर भी काम करना पड़ता है।
Q8. सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है ?
उत्तर ⇒सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने माना है कि समाज में समानता, स्वतंत्रता, गतिशीलता, सजगता तथा बंधुत्व की भावना जैसी विशेषताएँ अवश्य होनी चाहिये।
class 10th shram vibhajan aur Jati Pratha ka Subjective question answer 2023
पाठ के आस-पास
Q1. संविधान सभा के सदस्य कौन-कौन थे ? अपने शिक्षक से मालूम करें।
उत्तर ⇒संविधान सभा के सदस्यों में डा० राजेन्द्र प्रसाद, डा० भीमराव अम्बेडकर, जवाहरलाल नेहरू, चक्रवर्ती राज गोपालचार्य तथा मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद इत्यादि थे।
Q2. जाति-प्रथा पर लेखक के विचारों की तुलना महात्मा गाँधी, ज्योतिबा फुले और डॉ० राममनोहर लोहिया से करते हुए एक संक्षिप्त आलेख तैयार करें और उसका कक्षा में पाठ करें।
उत्तर ⇒ जाति प्रथा को लेखक ने समाज में भेद-भाव फैलाने का सबसे बड़ा कारण माना है। लेखक मानता है कि इसी जातिवाद की वजह से जबरन पेशा लाद दिया जाता है, चाहे वह व्यक्ति उस पेशे को न करना चाहे। इसी तरह गाँधी जी जाति प्रथा को बुरा मानते थे। उन्होंने अछूत समझे जाने वाले दलितों को ईश्वर की संतान मानते हुए हरिजन कहा। उन्होंने कहा कि सभी जातियाँ बराबर हैं।
राम मनोहर लोहिया और फूले भी इसके विरोधी थे। ज्योतिबा फूले इसका (जाति प्रथा) का विरोध करते हुए सभी को एक समान अधिकार देने पर जोर देते थे। इसके साथ ही उन्होंने पिछड़े लोगों को सहायता देने पर बल दिया। इधर लोहिया जी जाति प्रथा को प्रगति की सबसे बड़ी बाधा मानते हैं। उनका मानना है कि जाति-प्रथा की वजह से भारतीय समाज पिछड़ा हुआ है। यहाँ रुचि और क्षमता के आधार पर श्रम का निर्धारण न करके जबरदस्ती थोपा जाता है। इससे व्यक्ति अपना बेहतर परिणाम नहीं दे पाता है। इस तरह बाबा अम्बेडकर, ज्योतिबा फूले, गाँधी जी और डा० राममनोहर लोहिया चारो जाति-प्रथा के घोर विरोधी थे।
Class 10th Hindi Subjective Question 2023
Hindi Subjective Question | |
S.N | गोधूलि भाग 2 ( गद्यखंड ) |
1. | श्रम विभाजन और जाति प्रथा |
2. | विष के दाँत |
3. | भारत से हम क्या सीखें |
4. | नाखून क्यों बढ़ते हैं |
5. | नागरी लिपि |
6. | बहादुर |
7. | परंपरा का मूल्यांकन |
8. | जित-जित मैं निरखत हूँ |
9. | आवियों |
10. | मछली |
11. | नौबतखाने में इबादत |
12. | शिक्षा और संस्कृति |
Hindi Subjective Question | |
S.N | गोधूलि भाग 2 ( काव्यखंड ) |
1. | राम बिनु बिरथे जगि जनमा |
2. | प्रेम-अयनि श्री राधिका |
3. | अति सूधो सनेह को मारग है |
4. | स्वदेशी |
5. | भारतमाता |
6. | जनतंत्र का जन्म |
7. | हिरोशिमा |
8. | एक वृक्ष की हत्या |
9. | हमारी नींद |
10. | अक्षर-ज्ञान |
11. | लौटकर आऊंगा फिर |
12. | मेरे बिना तुम प्रभु |
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