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विष के दांत ( गोधूलि भाग-2 गध खंड ) Subjective Question 2023 || Vish Ke Dant Subjective Question Answer 2023

दोस्तों यहां पर आपको कक्षा दसवीं हिंदी गोधूलि भाग 2 बिहार बोर्ड के लिए विष के दांत पाठ का सब्जेक्टिव प्रश्न दिया गया है। जो मैट्रिक परीक्षा 2023 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।और यहाँ पर  Vish Ke Dant का Objective Question Answer दिया गया है। जिसे आप आसानी से पढ़ सकते है

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विष के दांत Subjective Question Answer 2023

Q1. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पस्ट कीजिए।

उत्तर ⇒ नलिन वोलोचन शर्मा द्वारा रचित कहानी ‘विष के दांत’ का शीर्षक सर्वथा उपयुक्त और सार्थक है। कहानी के सेन सा बाहरी तौर पर जेन्टलमैन और अच्छे इंसान दिखाने का हो करते हैं लेकिन अंदर उनके जितना विष भरा है, वह खट नहीं जाते। इसलिए सेन साहब के दोहरे चरित्र को ध्यान में रखकर कहानी का शीर्षक विष के दाँत रखा गया है। दाँत दिखाने के दूसरे और डसने के दूसरे होते हैं। अंत में मदन सेन साहब की छाया खोखा के दो दाँत तोड़कर शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कर देता है।

Q2. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन-पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेद-भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

उत्तर ⇒ सेन साहब ने अपनी सभी लड़कियों को क्या नहीं करने की शिक्षा दी। वो लड़कियाँ कम कठपुतलियाँ ज्यादा हैं। उन्हें भी कार से दूर रहने की हिदायत दी गई। इधर खोखा उनका एकलौता पुत्र, उदंड, अनुशासनहीन है। बेटियों की अपेक्षा उसे पूर्ण आजादी है। इसके बावजूद सेन साहब अपने मित्रों से खोखा की ही प्रशंसा करते हैं, जबकि अपनी बेटियों के गुणों पर एक बार भी नहीं कुछ कहते हैं। वो खोखा को इंजीनियर बनाना चाहते हैं, लेकिन बेटियों को कुछ नहीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि सेन साहब के यहाँ बच्चों का
लालन-पोषण लिंग भेद पर आधारित है।

Q3. खोखा किन मामलों में अपवाद था ?

उत्तर ⇒ खोखा जीवन के नियम और घर के नियमों के मामले में अपवाद था।

Q4. सेन दंपती खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी? उत्तर : खोखा सेन दम्पति के बुढ़ापे का सहारा है। अतः वे खोखा की उदंडता में एक इंजीनियर की संभावनाएँ देखते हैं। इसके लिए उन्होंने अपनी तरह से उसे ट्रेंड करने का प्रबंध किया है, बढ़ई को बुलाकर ठोक-ठाक सिखाने के लिए कहा, जिससे खोखा औजार पकड़ना सीख सके।

Q5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए।

उत्तर ⇒ (क) लड़कियाँ क्या है, कठपुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है।

सन्दर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गोधूलि’ भाग-2 के गद्यखण्ड के ‘विष के दाँत’ नामक कहानी से ली गई हैं। इसके लेखक नलिन विलोचन शर्मा हैं।

नोट : इस पाठ की सभी व्याख्याओं का सन्दर्भ यही रहेगा।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्ति में लेखक ने सेन दम्पत्ति की पाँचों लड़किया की विशेषताओं और विवशताओं का वर्णन किया है।

व्याख्या : सेन परिवार की पाँचों लड़कियों को सभ्यता, संस्कार का शिक्षा दी गई हो या नहीं लेकिन यह जरूर बताया गया ।
उन्हें क्या-क्या नहीं करना है। उन्हें इतना ट्रेंड किया गया है कि वे खिलखिला कर हँसती भी नहीं हैं। खेलती भी है तो ऐसे कि कोई चीज टूट न जाए। कहने का अर्थ यह है कि इतनी शिष्ट हैं कि सेन दम्पत्ति के इशारे पर ही चलती है।

विष के दांत प्रश्न उत्तर

(ख) खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिधान्तों को भी बदल लिया था।

सन्दर्भः प्रश्न 5 के (क) में देखें।

प्रसंग : प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लेखक ने सेन दम्पत्ति में किए जा रहे लिंग भेद पर प्रकाश डाला है।

व्याख्या : सेन दम्पत्ति ने अपने बच्चों के लिए कुछ नियम बनाएँ हैं, जिन पर लड़कियों को सख्ती से चलने के लिए बाध्य किया जाता था। लेकिन उनका एकलौता पुत्र खोखा नियमों को तोडता है तो सेन दम्पत्ति ने उसके लिए अलग से नियम बनाए। इस तरह परिवार में सन्तान के लिए अलग नियम और नियमों में मिलने वाली सहूलियत से सेन दम्पत्ति के लिंग भेद व्यवहार का पता चलता है।

(ग) ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे, चोर और डाकू बनते हैं।

सन्दर्भः प्रश्न 5 के (क) में देखें।

प्रसंग : इसमें लेखक मध्यवर्गीय दंभ और मद से भरे लोगों की निम्न श्रेणी के लोगों के प्रति दुर्भावना का परिचय देता है।

व्याख्या : सेन साहब का चरित्र दोहरा है। उनका खुद का बेटा उदंड है, वह घर पर तोड़फोड़ करता रहता है, यहाँ तक कि मेहमानों की गाड़ियों की हवा निकाल देता है, लेकिन सेन साहब उसकी गलतियों को भी उसकी खूबियों (गुणों) के रूप में लोगों के सामने पेश करते हैं। इधर मदन एक गरीब परिवार का लड़का है, जिसके लिए मोटर एक अचरज की चीज़ है। इसलिए वह सिर्फ छूना चाहता है, फिर भी सेन साहब उसे डाटते हैं और उसकी शिकायत उसके पिता से करते हैं। मदन के गाड़ी छूने की इच्छा मात्र से वह भविष्यवाणी करते हैं कि वह चोर, डाकू या लुटेरा बनेगा जबकि खुद उनका बेटा उदंड, दंभी और नटखट है फिर भी उसके इंजीनियर बनने की उन्हें आशा है। इस बात से यह पता चलता है कि लोग अपने पुत्र को ही अच्छा और सज्जन समझते हैं और दूसरे के पुत्र को बिगडैल मानते हैं।

(घ) हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया।

सन्दर्भः प्रश्न 5 के (क) में देखें।

प्रसंग : लेखक ने ऊँच-नीच की बातों से अंजान बाल-मन का परिचय दिया है।

व्याख्या : लेखक कहता है कि बच्चों में अपने मान-सम्मान की कोई भावना नहीं होती है। उन्हें तो खेल से मतलब होता है। सेन साहब अपने परिवार को इज्जतदार सफेदपोश मानते हैं। मदन और गली के दूसरे बच्चों को आवारा, नाकारा और बिगड़े हुए मानते हैं। उनके लिए यह आवारा बच्चे घृणित और गंदे हैं। लेकिन उनका पुत्र काशू उन्हीं गंदे बच्चों के साथ खेलने पहुँच जाता है। इसलिए लेखक ने काशू को हंस और मदन आदि को कौओं का झुण्ड कहा। लेखक यहाँ सेन साहब जैसे लोगों पर व्यंग्य करता है।

कक्षा 10 वी हिंदी विष के दांत सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर 2023

Q6. सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया ?

उत्तर ⇒ सेन साहब अपने मित्रों से बातचीत के दौरान कहते हैं कि मेरा बेटा तो इंजीनियर या बिजनेसमैन बनेगा। जब उन्होंने अपने पत्रकार मित्र से पूँछा तो उन्होंने कहा-‘मैं चाहता हूँ मेरा बेटा जेंटिलमैन ज़रूर बने और जो कुछ भी बने, उसका काम है, उसे पूरी आज़ादी रहेगी।’ यह उन्होंने शिष्टता के साथ व्यंग्य किया था।

Q7. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?

उत्तर ⇒ मदन और ड्राइवर के बीच विवाद के द्वारा कहानीकार यह बताना चाहता है कि मनुष्य दबाव की वजह से बदल जाता है। सेन साहब का ड्राइवर खोखा की शैतानियों को सेन साहब की तरह नजरअंदाज करता है, पर मदन जब गाड़ी छूना चाहता है तो उसे धकेल कर भगा देता है।

Q8. काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ? इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है ?

उत्तर ⇒ काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण उनका बाल हठ था। जब मदन काशू की गाड़ी स्पर्श नहीं कर सका तो मदन भी काशू को अपना लटू नहीं देता है। इस पर भी काशू का रोब जमाना मदन को अच्छा नहीं लगा और दोनों में झगड़ा हो जाता है। लेखक बताना चाहता है कि बच्चों में भी बदला लेने की भावना होती है, फिर चाहे बच्चा धनवान का हो या गरीब का हो। यह बच्चों का बाल स्वभाव है।

Q9. ‘महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं।’ लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण दे कर पुष्टी कीजिए।

उत्तर ⇒ यह सत्य है और लेखक ने काशू और मदन के माध्यम से इसकी पुष्टि की है। काशू और मदन की लड़ाई में अन्य लड़के किसी के सहयोग में नहीं आए। इससे महल वाला काशू झोपड़ी वाले मदन से पिट गया। इस तरह अगर झोपड़ी वाले की लड़ाई में दूसरे झोपड़ी वाले महलं वालों के सहयोग में न आए तो जीत झोपड़ी वाले की ही होगी।

Q10. रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरधर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने की बजाय
अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?

उत्तर ⇒ गिरधर, सेन साहब की फैक्ट्री में किरानी है। इसलिए नौकरी से निकाले जाने और घर खाली किए जाने पर भी वह सेन साहब से कुछ नहीं कह सका। लेकिन मदन काशू को पीटता है और दो दाँत तोड़ देता है तो गिरधर को लगता है कि वह सेन साहब से बदला नहीं ले सका लेकिन मदन ने ले लिया। इसलिए गिरधर मदन को दंडित करने के बजाय अपनी छाती से लगा लेता है।

कक्षा 10 विष के दांत का सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर 2023

Q11. सेन साहब, मदन, काशू और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें।

उत्तर ⇒ सेन साहब का चरित्र-चित्रण – सेन साहब आर्थिक रूप से सम्पन्न एक ऐसे बिजनेसमैन हैं जो छोटे लोगों को पसंद नहीं करते हैं। गरीब और उनके बच्चों में हजार बुराईयाँ निकालने में माहिर हैं। परंतु अपने पुत्र में लाख दोषों के होने पर भी उसकी तारीफ करते हैं। इधर उनकी पुत्रियाँ अनुशासन और सभ्यता से रहती है, लेकिन उनकी प्रशंसा में एक शब्द भी नहीं कहते हैं। इससे उनका लिंग भेदी होना पता चलता है। इसके साथ ही वे अहंकारी भी हैं, इसलिए गिरधर को नौकरी से निकाल देते हैं।

मदन का चरित्र-चित्रण : मदन सामान्य गरीब बालकों की तरह है। उसमें ईर्ष्या और बदले की भावना है। सामान्य बच्चों से अलग वह अपने पिता के मालिक के बेटे को पीटकर दुःसाहस का परिचय देता है।

काशू का चरित्र-चित्रण : काशू अपने अमीर माता-पिता का एकलौता पुत्र है। जिससे उसे ज्यादा आजादी मिली हुई है। उसमें उदण्डता, नटखट तथा अहंकार भी है। उसे तोड़-फोड़ करना अच्छा लगता है। वह एक अनुशासनहीन बालक है।

गिरधर का चरित्र-चित्रण : गिरधर एक निम्न वर्ग का व्यक्ति है। वह अपने मालिक सेन साहब का वफादार और ईमानदार कर्मचारी है। सेन साहब की हर बात को मानता है, इसलिए वह अपने पुत्र को पीटता रहता है। नौकरी से निकाले जाने पर भी सेन साहब.से कुछ नहीं कहता इससे पता चलता । है कि वह सज्जन और निर्बल दोनों ही है। लेकिन जब मदन काशू के दाँत तोड़ देता है तो वह उसे शाबाशी देता है। इससे पता चलता है कि अनुकूल परिस्थितियों में वह प्रतिशोध भी ले सकता है अतः वह साहसी भी है।

Q12. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है? तर्कपूर्ण उत्तर दे।

उत्तर ⇒ कथा के केन्द्र में सेन साहब का परिवार है। इस परिवार में भी काशू के आस-पास सभी पात्र नज़र आते हैं। सभी पात्रों की क्रिया-कलाप काशू से जुड़ते हैं। कहानी में जो भी घटना घटती है उसमें काशू ही प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में मुख्य था। अतः मुझे लगता है कि कहानी का नायक काशू (खोखा) ही है।

Q13. आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है। ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित हरें।

उत्तर ⇒ कहानीकार ने कथा आरंभ होने से ही व्यंग्य का प्रयोग किया है। जगह-जगह कहानीकार ने व्यंग्यपूर्ण स्वरों का परिचय दिया है। जैसे गाड़ी के सन्दर्भ में कहा कि ‘चमक ऐसी कि अपना मुंह देख लो।’ इसी तरह लड़कियों के बारे में कहा- लड़कियाँ क्या हैं कठ पुतलियाँ हैं और उनके माता-पिता को इस बात पर गर्व है।’ इस तरह लेखक ने व्यंग्य स्वरों में परिचय दिया। व्यंग्य का सबसे बढ़िया प्रयोग उन्होंने ने काशू के बारे में कहा-‘हंस कौओं की जगत में शामिल होने के लिए ललक गया।’ इस तरह अनेक वाक्य प्रमाण हैं, जो ये साबित करते हैं कि कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है।

Vish Ke Dant Subjective Question Answer 2023

Q14. ‘विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखें।

उत्तर ⇒ ‘विष के दाँत’ आचार्य नलिन विलोचन शर्मा की एक अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं सुप्रसिद्ध कहानी है, इसमें सामाजिक भेदभाव, लिंग-भेद, आक्रामक स्वार्थ की छाया में पलते हुर प्यार-दुलार के कुपरिणामों को दिखाते हुए सामाजिक समानता एवं मानवाधिकार का स्वर प्रमुखता से उभरा है।

कहानी सेन साहब के परिचय के साथ शुरू होती है। उनके पास एक नई मोटरकार है जो बंगले के सामने बरसाती में खड़ी है। सेन साहब के पाँच लड़कियाँ और एक लड़का है। उनकी लड़कियाँ सीमा, रजनी, आलो, शेफाली और आरती जहाँ तहजीब और तमीज की जीती-जागती प्रतिमाएं हैं, वहीं लड़का काशू उनके अपवाद स्वरूप मनबढू और तुनुकमिजाज है। इसका कारण सेन साहब और उनकी पत्नी का उसके प्रति जरूरत से अधिक प्यार दुलार है। एक दिन की बात है कि सेन साहब के ड्राइंग रूम में उनके कुछ दोस्त बैठे गपशप कर रहे थे। उनमें से एक पत्रकार थे, जिनका होनहार और समझदार बेटा भी साथ था। किसी ने उसकी ज्योंही बड़ाई की, सेन साहब अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनते हुए अपने बेटे को बड़ाई करते हुए उसे इंजीनियर बनने की बात करने लगे इस पर जब किसी ने पत्रकार महोदय से उनके बच्चे के विषय में पूछा तो उन्होंने बड़े संयत किन्तु व्यंग्यात्मक रूप में जवाब दिया कि “मैं चाहता हूँ कि वह Gentleman बस बने और जो कुछ बने, उसका काम है। “सेन साहब कटकर रह गये ‘तभी शोरगुल सुन सभी बाहर निकले। वहाँ सभी देखते हैं कि खेन साहब का शोफर एक औरत से उलझ रहा था, क्योकि उसका बच्चा मदन गाड़ी को छूना चाह रहा था। सेन साहब उस औरत को डाँटकर भगा देते हैं। इसके तुरंत बाद ही लोगों को मालूम होता है कि काशू ने सेन साहब की गाड़ी की पिछली बत्ती को चकनाचूर कर दिया है। इतना ही नहीं, उसने मिस्टर सिंह की गाड़ी की हवा भी निकाल दी हैं किन्तु सेन साहब उसे एक बार भी डाँटते-फटकारते नहीं, उल्टे उसकी बड़ाई करते हैं। जब उनके दोस्त चले गए तो उन्होंने गिरधर लाल जो मदन का पिता और फैक्टरी में किरानी था, को बुलाकर उससे अपने बेटे को सम्भालने की नसीहत देते हैं क्योंकि उनकी दृष्टि में ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर और डाकू बनते हैं। सेन साहब की बात पर गिरधर लाल ने उस दिन रात में अपने बेटे को खूब पिटाई की।

लेकिन, दूसरे दिन अजीब बात हो गई। शाम के समय खोखा यानी काशू खेल-खेल में बंगले से बाहर बगलवाली गली में जा निकला, जहाँ मदन अपने पड़ोसी आवारागर्द छोकरों के साथ लटू नचा रहा था। खोखा को भी लटू नचाने का मन हुआ और उसने बड़े रौब के साथ लट्ट मांगा। पर, मदन पर उसके रोब का कोई असर नही हुआ। तब दोनों में झगड़ा शुरू गया। खाखा मदन का सामना न कर सका और मार खाकर भाग निकला। उधर मदन अपने पिता के डर के कारण दिन भर घर नहीं जाता हैं, इधर-उधर घूमता रहता है। आखिरकार रात होने पर जब वह घर पहुँचता है तो माँ-बाप की कानाफूसी को सुन अचरज में पड़ जाता है। इसी बीच उसका पैर लोटे से टकराता है, जिसकी ठनक सुन गिरधरलाल आकर आशा के विपरीत मदन को गोद में उठा शाबाशी देने लगा और कहा कि शाबाश बेटा!!! तूने तो खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले। “इस प्रकार कहानी का बड़ा की अर्धगर्भित अंत हो जाता है।”

Q15. एक साहित्यकार के रूप में नलिन विलोचन शर्मा के महत्त्व के बारे में अपने शिक्षक से जानकारी लें।

उत्तर ⇒ हिंदी साहित्य में नलिन विलोचन शर्मा को एक बड़े लेखक के तौर पर जाना जाता है। हिंदी में उनकी सबसे ज्यादा पहचान आलोचक के रूप में की जाती है। आधुनिक साहित्य को उन्होंने अपनी कसौटी पर कसा। उन्होंने भक्तिकालीन साहित्य पर भी विचार किया। भक्तिकालीन संत कवियों पर उनका आलोचनात्मक ग्रंथ ‘संत परंपरा और साहित्य’ अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने ग्रंथ ‘साहित्य का इतिहास दर्शन’ में बुनियादी सवालों को उठाया। इसके साथ ही प्रेमचंद और उपन्यास विद्या पर भी गंभीर कार्य किया। हिंदी में नकेनवाद और प्रपद्यवाद के वे प्रयोक्ता भी थे। इस तरह नलिन विलोचन शर्मा ने आलोचना और सृजन साहित्य के क्षेत्र में अपना अमूल्य योगदान दिया।

Class 10th Hindi Subjective Question 2023

Hindi Subjective Question
S.N गोधूलि भाग 2 ( गद्यखंड )
1. श्रम विभाजन और जाति प्रथा
2. विष के दाँत
3. भारत से हम क्या सीखें
4. नाखून क्यों बढ़ते हैं
5. नागरी लिपि
6. बहादुर
7. परंपरा का मूल्यांकन
8. जित-जित मैं निरखत हूँ
9. आवियों
10. मछली
11. नौबतखाने में इबादत
12. शिक्षा और संस्कृति
Hindi Subjective Question
S.N गोधूलि भाग 2 ( काव्यखंड )
1. राम बिनु बिरथे जगि जनमा
2. प्रेम-अयनि श्री राधिका
3. अति सूधो सनेह को मारग है
4. स्वदेशी
5. भारतमाता
6. जनतंत्र का जन्म
7. हिरोशिमा
8. एक वृक्ष की हत्या
9. हमारी नींद
10. अक्षर-ज्ञान
11. लौटकर आऊंगा फिर
12.  मेरे बिना तुम प्रभु
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