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पाठ-4 नाख़ून क्यों बढ़ते है ( गोधूलि भाग-2 गध खंड ) Subjective Question 2023 || Nakhun Kyon Badhte Hain Subjective Question Answer 2023

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दोस्तों यहां पर आपको कक्षा दसवीं हिंदी गोधूलि भाग 2 बिहार बोर्ड के लिए नाख़ून क्यों बढ़ते है पाठ का सब्जेक्टिव प्रश्न दिया गया है। जो मैट्रिक परीक्षा 2023 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।और यहाँ पर Nakhun Kyon Badhte Hain का Objective Question Answer दिया गया है। जिसे आप आसानी से पढ़ सकते है

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नाख़ून क्यों बढ़ते है Subjective Question Answer 2023

1. नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ?

उत्तर ⇒ नाखून क्यों बढ़ते हैं यह प्रश्न लेखक के सामने तब हुआ जब उसकी छोटी पुत्री ने यह प्रश्न किया।

2. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है ?

उत्तर ⇒ बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को याद दिलाती है कि तुम वही लाखों वर्ष पहले के नख-दंतावलंबी जीव हो। वह यह याद दिलाती है कि तुम पशु के साथ एक ही सतह पर विचरण करने वाले थे। अर्थात प्रकृति मनुष्य को आदिमानव
होना बताती है।

3. लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप देखना कहाँ तक संगत है ?

उत्तर ⇒ लेखक द्वारा नाखूनों को अस्त्र के रूप में देखना पूर्णतः तर्क संगत है क्योंकि उस समय मनुष्य ने इतना विकास नहीं किया था कि वह धातु आदि से अस्त्र बनाता। उस समय वह नाखूनों को अपनी रक्षा तथा शिकार करने के लिए प्रयोग करता था। अतः नाखून अस्त्र-शस्त्र का काम करते थे।

4. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है ?

उत्तर ⇒ नाखून पशुता की निशानी है। पाशविक वृत्तियों को त्याग कर, सभ्य दिखने के लिए मनुष्य बार-बार नाखून काटता है।

Nakhun kyon Badhte hai Subjective question

5. सुकुमार विनोदों के लिए नाखून को उपयोग में लाना मनुष्य ने कैसे शुरू किया ? लेखक ने इस संबंध में क्या बताया है?
उत्तर ⇒ लेखक का मानना है कि हजारों वर्षों पहले मनष्य ने अपने नाखनों को विनोदों के लिए उपयोग में लाना शुरू कर दिया था। भारतवासी नाखूनों को खूब सजाते संवारते थे। वात्स्यायन के कामसूत्र के आधार पर लेखक ने बताया कि विलासी प्रवृत्ति के लोगों के नाखून वर्तुलाकार, चन्द्राकार, दंतुल आदि आकृतियों के होते थे। मोम एवं आलता से इन्हें लाल तथा चिकना किया जाता था।

6. नख बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृत्तियाँ हैं ? इनका क्या अभिप्राय है ?

उत्तर ⇒ प्राणी वैज्ञानिक मानते हैं कि मानव शरीर में कछ वृत्तियाँ होती हैं। नाखूनों का बढ़ना और उन्हें काटना भी मनुष्य की सहजात वृत्ति है। नाखूनों का बढ़ना पशुता की निशानी और उन्हें काटना मनुष्यता की निशानी है। लेखक का अभिप्राय के कि मनुष्य नाखूनों को काटकर पशुत्व को त्यागकर मनुष्यता का ग्रहण करता रहेगा। पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। उसे कोई और रास्ता खोजना चाहिये, क्योंकि अस्त्र बढ़ाने की प्रवृत्ति मनुष्यता की विरोधी है।

7. लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर ? स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ आज के समय में मनुष्य की हिंसक प्रवृत्ति बढ़ रही है। मनुष्य अस्त्र-शस्त्रों के निर्माण में लगा है। अस्त्र मानवता के विरोधी होते हैं। इस पर जब लेखक ने विचार किया तो उसने पूछा कि मनुष्य किस ओर बढ़ रहा है, पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर? अंत में लेखक ने माना कि अस्त्र-शस्त्र बढ़ाना हमारी पशुता की निशानी है।

8. देश की आजादी के लिए प्रयुक्त किन शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करता है और लेखक के निष्कर्ष क्या है ?

उत्तर ⇒ लेखक देश की आजादी के लिए प्रयुक्त ‘इण्डिपेण्डेन्स’ तथा ‘स्वाधीनता’ शब्दों की अर्थ मीमांसा करता है। वह इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि ‘इण्डिपेण्डेन्स’ शब्द का अर्थ ‘अनधीनता’ अथवा अधीनता का अभाव होता है। स्वाधीनता शब्द का अर्थ है- अपने ही अधीन रहना। अंग्रेजी में कहना हो तो ‘सेल्फडिपेण्डेन्स’ कह सकते हैं। परंतु हम भारतीय अभी तक ‘इण्डिपेण्डेन्स’ को अनधीनता नहीं कह सके।

नाखून क्यों बढ़ते हैं प्रश्न उत्तर

9. लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ लेखक कहता है कि हम भारतीय ‘स्व’ को अपनाए हुए हैं। उसे त्यागना नहीं चाहते हैं, इसी कारण ‘इण्डिपेण्डेन्स’ (अनधीनता) को स्वाधीनता, स्वराज तथा स्वतंत्रता आदि नामों से पुकारते हैं। यह हमारी परंपरा रही है। लेखक ने इसी प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती। लेखक का अभिप्राय है कि सब पुराना अच्छा नहीं होता और सब नया खराब नहीं होता। अतः हमें नए एव पुराने को परखना चाहिये और जो हितकर हो उसे ग्रहण करना चाहिए।

10. ‘स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है ?

उत्तर ⇒ लेखक कहता है कि भारतीयों में ‘स्व’ की भावना अधिक है। इस कारण इण्डिपेण्डेन्स (अनधीनता) को स्वाधीनता के रूप में ग्रहण करते हैं। यह हमारी दीर्घकालीन संस्कारों का परिणाम है। यह इतना प्रबल है कि हम इसे छोड़ना भी नहीं चाहते हैं।

11. निबंध में लेखक ने किस बूढे का जिक्र किया है ? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है ?

उत्तर ⇒ निबंध में लेखक ने जिस बूढ़े का जिक्र किया है वे गाँधी जी हैं। जब बड़े-बड़े नेता मशीनों, उत्पादन, धन और बाह्य उपकरणों पर जोर दे रहे थे, तब उस बूढ़े ने स्वयं अपने भीतर झाँकने पर बल दिया। लेखक की दृष्टि में बूढे के कथनों की सार्थकता यह है कि उन्होंने जीवन की अथाह गहराई में बैठ कर मनुष्यता के वास्तविक गुणों का पता लगाया। यही गुण ही तो मनुष्य को मनुष्य बनाते हैं।

12. मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएँगे। – प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है ?

उत्तर ⇒ प्राणीशास्त्रियों के अनुमान से लेखक के मन में यह आशा जागती है कि मनुष्य के नाखूनों के साथ ही उसकी पशुता भी समाप्त हो जाएगी। इसके साथ ही मनुष्य प्रेम, करूणा, दया सहानुभूति इत्यादि गुणों को पहचानेगा और तब शायद उस दिन वह मारणस्त्रों का प्रयोग भी बंद कर देगा।

नाख़ून क्यों बढ़ते है सब्जेक्टिव क्वेश्चन

13. ‘सफलता’ और ‘चरितार्थता’ शब्दों में लेखक अर्थ की भिन्नता किस प्रकार प्रतिपादित करता है ?

उत्तर ⇒ ‘सफलता’ और ‘चरितार्थता’ में अंतर है। लेखक के शब्दों में अस्त्रों के संचयन तथा बाह्य उपकरणों से सफलता पाई जा सकती है। परंतु मनुष्य की चरितार्थता प्रेम, मैत्रेयी, त्याग और मंगल कामनाओं में है।

14. व्याख्या करें-

(क). काट दीजिए, वे चुपचाप दंड स्वीकार कर लेंगे, पर निर्लज्ज अपराधी की भाँति फिर छूटते ही सेंध पर हाजिर।

सन्दर्भ : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गोधूलि भाग-2’ के निबंध ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ से लिया गया है। इसके लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी हैं।

नोट : इस पाठ की सभी व्याख्याओं का सन्दर्भ यही होगा।

प्रसंगः प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने नाखून बढ़ने के माध्यम से मानव की पाशविक प्रवृत्यिों का वर्णन किया है।

व्याख्या : लेखक कहता है कि नाखून प्राचीन समय में मनुष्य के अस्त्र थे। अब उन्हें इन अस्त्रों की आवश्यकता नहीं है। परन्तु यह फिर भी बढ़ जाते हैं। क्योंकि प्रकृति याद दिलाती है कि मनुष्य के अंदर पशुता बाकी है। अस्त्र मनुष्यता के विरोधी है। मनुष्य इन्हें काटकर मनुष्यता का परिचय देता है।

(ख). मैं मनुष्य के नाखून की ओर देखता हूँ तो कभी-कभी निराश हो जाता हूँ।

सन्दर्भः प्रश्न 14 के (क) में देखें।

प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने मनुष्य में पशुता की प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त की है।

व्याख्याः लेखक मानता है कि नाखून मनुष्य के अस्त्र रहे थे। आज इतने समय के बाद भी अस्त्रों के संग्रह करने पर मनुष्य जोर दे रहा है। इसलिए लेखक मनुष्य के नाखून बढ़ते हुए देखता है तो उसे आभास होता है कि वह अपने अंदर के पशु को समाप्त नहीं सका और लेखक चिंता करने लगता है।

(ग). कमबख्त नाखून बढ़ते हैं तो बढ़ें, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा।

सन्दर्भः प्रश्न 14 के (क) में देखें।

प्रसगः प्रस्तुत पंक्तियों में लेखक ने मनुष्य के मनुष्य बने रहने की आशा व्यक्त की है।

व्याख्या : लेखक अपने अंतिम निष्कर्ष में कहता है कि मनुष्य के नाखून बढ़ते रहेंगे और वह काटता रहेगा। क्योंकि मनुष्य पशुता को नहीं अपनाएगा, ऐसी लेखक को आशा है। नाखून बढ़ना अगर पशुता की निशानी है तो काटना मनुष्यता की निशानी है। इस तरह मनुष्य अपनी मनुष्यता का परिचय देता रहेगा।

15. लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या है ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर ⇒ लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता यह है कि अनधीनता को हम स्वाधीनता के रूप में अपनाते हैं। हम ‘स्व’ का बंधन नहीं छोड़ सके। क्योंकि यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा है।

नाख़ून क्यों बढ़ते है का सारांश

16. ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ का सारांश प्रस्तुत करें।

उत्तर ⇒ वर्तमान समय में नाखून का बढ़ना एवं मनुष्यों द्वारा उनको काटना नियमित ढंग से गतिमान हैं। नाखून की इस प्रकार उपेक्षा से में कोई अवरोध उत्पन्न नहीं हुआ है। प्राचीन युग में जब मानव में ज्ञान का अभाव था, अस्त्रों-शस्त्रों से उसका परिचय नहीं था, तब इन्हीं नाखूनों को उसने अपनी रक्षा हेतु सबल अस्त्र समझा, किंतु समय के साथ उसकी मानसिक शक्ति में विकास होता गया। उसने अपनी रक्षा हेतु अनेक विस्फोटक एवं विध्वंसकारी अस्त्रों का आविष्कार कर लिया और अब नाखूनों की उसे आवश्यकता नहीं रही, किंतु प्रकृति-पदत्त यह अस्त्र आज भी अपने कर्तव्य को भूल नहीं सका है।
मनुष्य की नाखून के प्रति उपेक्षा से ऐसा प्रतीत होता है कि वह अब पाशविकता का त्याग एवं मानवता का अनुसरण करने की ओर उन्मुख है, किंतु आधुनिक मानव के क्रूर कर्मों, यथा हिरोशिमा का हत्याकांड से उपर्युक्त कथन संदिग्ध प्रतीत होता है, क्योंकि यह पाशविकता की मानवता को चुनौती है । वात्सायन के कामसूत्र से ऐसा मालूम होता है कि नाखून को विभिन्न ढंग से काटने एवं सँवारने का भी एक युग था । प्राणी विज्ञानियों के अनुसार नाखून के बढ़ने में सहज वृत्तियों का प्रभाव है। नाखून का बढ़ना इस बात का प्रतीक है कि शरीर में अब भी पाशविक गुण वर्तमान है। अस्त्र -शस्त्र में वृद्धि भी उसी भावना की परिचायिका है। मानव आज सभ्यता के शिखर पर अधिष्ठित होने के लिए कृत-संकल्प है। विकासोन्मुख है किन्तु मानवता की ओर नहीं, अपितु पशुता की ओर। इसका भविष्य उज्ज्वल है किन्तु अतीत का मोहपाश सशक्त है। ‘स्व‘ का बंधन तोड़ देना आसान प्रतीत नहीं होता है। कालिदास के विचारानुसार मानव को अव्वाचीन अथवा प्राचीन से अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए तथा बुराइयों का बहिष्कार करना चाहिए। मूर्ख इस कार्य में अपने को असमर्थ पाकर दूसरों के निर्देशन पर आश्रित होकर भटकते रहते हैं।
भारत का प्राचीन इतिहास इस बात का साक्षी है कि विभिन्न जातियों के आगमन से संघर्ष होता रहा, किन्तु उनकी धार्मिक प्रवृति में अत्याचार, बर्बरता और क्रूरता को कहीं आश्रय नहीं मिला। उनमें तप, त्याग, संयम और संवेदना की भावना का ही बाहुल्य था। इसलिए की मनुष्य विवेकशील प्राणी हैं। अत: पशुता पर विजय प्राप्त करना ही मानव का विशिष्ट धर्म है। वाह्य उपकरणों की वृद्धि पशुता की वद्धि है। महात्मा गांधी की हत्या इसका ज्वलन्त प्रमाण है। इससे सुख की प्राप्ति कदापि नहीं हो सकती।
जिस प्रकार नाखून का बढ़ना पशुता का तथा उनका काटना मनुष्यत्व का प्रतीक है, उसी प्रकार अस्त्रशस्त्र की वृद्धि एवं उनकी रोक में पारस्परिक संबंध है। इससे सफलता का वरण किया जा सकता है, किंतु चरितार्थकता की छाया भी स्पर्श नहीं की जा सकती। अत: आज मानव का पुनीत कर्तव्य है कि वह हृदय-परिवर्तन कर मानवीय गुणों को प्रचार एवं प्रसार के साथ जीवन में धारण करे क्योंकि मानवता का कल्याण इसी से सत्य एवं अहिंसा का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।

Class 10th Hindi Subjective Question 2023

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S.N गोधूलि भाग 2 ( गद्यखंड )
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Indrajeet Kumar
मैं इंद्रजीत कुमार हूं. मैं Pragatishilclasses.com पर एक ब्लॉगर और सामग्री निर्माता हूं। मेरे पास विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव है जिसमें सरकारी नौकरियों के अपडेट, नवीनतम समाचार अपडेट, खेल, सरकारी योजनाएं, गेमिंग, राजनीति, तकनीकी रुझान, वित्त, सरकारी नीतियां आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में वर्तमान घटनाएं शामिल हैं।
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