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धातु एवं अधातु ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) Class 10th Science Dhatu Aur Adhatu Subjective Question Answer 2023 || धातु एवं अधातु सब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर 2023

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कक्षा-10 विज्ञान (रसायन विज्ञान) पाठ-3 धातु एवं अधातु का सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर


5 अंक स्तरीय प्रश्न

1. कारण बताइए :
(i). प्लैटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
(ii). सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम को तेल के अंदर संग्रहीत किया जाता है।
(iii). एल्युमिनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है, फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन बनाने के लिए किया जाता है।
(iv) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।

उत्तर ⇒ (i) प्लैटिनम, सोना एवं चाँदी बहुत कम अभिक्रियाशील है तथा संक्षारित भी नहीं होते। उनकी चमक भी तेज होती है। इन्हीं कारणों से इनका उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।

(ii) सोडियम, पोटैशियम तथा लिथियम अत्यधिक क्रियाशील धातुएँ हैं। इन्हें वायु में खुला छोड़ने पर ये नमी से क्रिया कर आग पकड़ लेती हैं। इसलिए इन्हें किरोसिन तेल के अंदर संग्रहित किया जाता है।

(iii) एल्युमिनियम ऊष्मा की सुचालक धातु है। इसे वायु में खुला रखने पर इसकी सतह पर एल्युमिनियम ऑक्साइड की एक पतली परत बन जाती है। यह परत अपने नीचे की धातु को और अधिक क्षति नहीं पहुँचने देती। अतः एल्युमिनियम से बने बर्तन संक्षारित नहीं होते हैं। इन सब कारणों से एल्युमिनियम का उपयोग होता है।

(iv) धातु कार्बोनेट और धातु सल्फाइड को धातु में बदलना कठिन होता है इसलिए उन्हें पहले धातु ऑक्साइड में बदलना आवश्यक होता है तब उसे किसी अपचयन की सहायता से धातु में बदला जा सकता है। धातु कार्बोनेट को वायु की अनुपस्थिति में गर्म करके कार्बन डाइऑक्साइड को निष्कासित कर दिया जाता है।

धातु सल्फाइड को ऑक्सीजन की उपस्थिति में गर्म करके उसे धातु ऑक्साइड में रूपांतरित किया जाता है। इससे गंधक और आर्सेनिक जैसी अशुद्धियाँ भी दूर हो जाती हैं –

2ZnS + 3O₂ → 2ZnO + 2SO₂
S+O₂ → SO₂
4As + 5O₂ → 2As₂O₅


2. आपको एक हथौड़ा, बैटरी, बल्ब, तार एवं स्विच दिया गया हैं –
(i) इनका उपयोग कर धातुओं एवं अधातुओं के नमूनों के बीच आप विभेद कैस कर सकते हैं?
(ii) धातुओं एवं अधातुओं में विभेदन के लिए इन परिक्षणों की उपयोगिताओं का आकलन कीजिए।

उत्तर ⇒ (i) हथौड़े को दिए गए नमुने पर मारने से यदि लिया गया नमूना टूट जाए तो वह अधातु है, इसके विपरीत यदि नमूना एक पतली चादर का रूप लेता है तो इसका अर्थ है कि वह अघातवर्ध्य है तो वह एक धातु है।
(ii) बैटरी, बल्ब, तारों एवं स्विच को चित्रानुसार व्यवस्थित


A तथा B के मध्य नमुना जिसकी जाँच करनी है, को रखेंगे। यदि बल्ब जलता है तो नमुना धातु है और यदि नहीं जलता है तो अधातु है। क्योंकि धातुएँ विधुत की सुचालक होती है।
लेकिन अधातुएँ विधुत की कुचालक होती है। ऊपर के परीक्षणों के आधार पर धातुओं तथा अधातुओं में भेद किया जा सकता है, लेकिन कुछ अपवाद हैं। कार्बन (ग्रेफाइट) इसका अपवाद है। ये अधातु होते हुए भी ऊष्मा तथा विधुत का सुचालक है।


धातु एवं अधातु दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर

3. जिंक, मैग्नीशियम एवं कॉपर के धात्विक ऑक्साइडों को निम्न धातुओं के साथ गर्म किया गया :

धातु जिंक मैग्नीशियम कॉपर
जिंक ऑक्साइड
मैग्नीशियम ऑक्साइड
कॉपर ऑक्साइड

किस स्थिति में विस्थापन अभिक्रिया घटित होगी ?

उत्तर ⇒

धातु जिंक मैग्नीशियम कॉपर
जिंक ऑक्साइड नहीं   हाँ नहीं
मैग्नीशियम ऑक्साइड नहीं   नहीं नहीं
कॉपर ऑक्साइड हाँ   नहीं हाँ

(i). जिंक ऑक्साइड तथा मैग्नीशियम के बीच कॉपर ऑक्साइडविस्थापन अभिक्रिया होगी ?
                 ZnO + Mg → MgO+ Zn
(ii) मैग्नीशियम ऑक्साइड विस्थापन अभिक्रिया नहीं कर सकता।
(iii) कॉपर ऑक्साइड तथा मैग्नीशियम के बीच विस्थापन अभिक्रिया होगी।
                CuO+ Mg → Cu+ MgO


4. रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर धातुओं एवं अधातुओं में विभेद कीजिए।

उत्तर ⇒ (i) आयन का निर्माण : धातुएँ धनायन बनाती हैं जबकि अधातुएँ ऋणायन का निर्माण करती हैं।
(ii) अम्लीय प्रकृति : धातुएँ क्षारीय ऑक्साइड बनाती हैं जबकि अधातुएँ अम्लीय ऑक्साइड का निर्माण करती हैं।
(iii) जल के साथ अभिक्रिया : धातुएँ जल के साथ अभिक्रिया करती हैं किंतु अधातुएँ जल के साथ अभिक्रिया नहीं करतीं।


5. उभयधर्मी ऑक्साइड क्या होते हैं ? दो उभयधर्मी ऑक्साइडों का उदाहरण दीजिए।

उत्तर ⇒ उभयधर्मी ऑक्साइड : ऐसे ऑक्साइड जिनकी प्रकृति अम्लीय तथा क्षारीय दोनों होती है, उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते हैं। ये अम्ल तथा क्षार दोनों के साथ क्रिया करके लवण और जल बनाते हैं। (जिंक ऑक्साइड) और (एल्युमिनियम ऑक्साइड) उभयधर्मी ऑक्साइड। उदाहरण –

(i) ZnO + 2HCl → ZnCl₂ + H₂O
(क्षारीय व्यवहार)
ZnO+ 2NaOH → Na₂ZnO₂ + H₂O
(अम्लीय व्यवहार)

(ii) Al₂O, +6HCl → 2AIC1₃ +3H₂O
(अम्लीय व्यवहार)
Al₂O₃ + 2NaOH → 2NaAlO₂ + H₂O
(क्षारीय व्यवहार)


6. संक्षारण क्या है ? इसकी सुरक्षा के क्या उपाय है ?

उत्तर ⇒ संक्षारण : नमी, वायु या रसायनों द्वारा धातुओं की सतहों पर रासायनिक प्रभाव को संक्षारण कहा जाता है। संक्षारण से सुरक्षा के उपाय निम्नलिखित हैं –
(i). रंगाई करके
(ii). जस्तीकरण करके
(iii). विधुत लेपन द्वारा
(iv). धातुओं को मिश्रधातु में परिवर्तित करके


7. निम्न प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
(i). सोडियम, ऑक्सीजन एवं मैग्नीशियम के लिए इलेक्ट्रॉन-बिंदु संरचना लिखिए।

उत्तर ⇒

(ii) इन यौगिकों में कौन-से आयन उपस्थित हैं ?

उत्तर ⇒ Na₂O यौगिक में Na+ आयन तथा O² आयन है। MgO यौगिक में Mg²+ आयन तथा O² आयन है।


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8. पारा धातु का निष्कर्षण कैसे होता है ?

उत्तर ⇒ पारा का प्रमुख अयस्क सिनेबार है जिससे पारा का निष्कर्षण किया जाता है।
सान्द्रि सिनेबार अयस्क को चारकोल के साथ गर्म करने पर पारा प्राप्त होता है।
2Hgs +3O₂ → 2HgO + 2SO₂
2HgO → 2Hg + O₂
Hgo + C → Hg + CO
पारा
के वाष्प CO एवं SO₂ के मिश्रण को संघनक से प्रवाहित कर उसे संघनित कर लिया जाता है।


9. जस्ता के अयस्कों का नाम लिखें? कैलेमान अयस्क से जस्ता का निष्कर्षण कैसे किया जाता है। वर्णन कीजिए ?

उत्तर ⇒ जस्ता के प्रमुख अयस्क निम्नलिखित हैं।
(i) जिंक ब्लेंड (ZnS)
(ii) कैलेमाइन (ZnCO₃)
(iii) जिंकाइट (ZnO)

कैलेमाइन अयस्क से जस्ता का निष्कर्षण : कैलेमाइन को निस्तापित करने पर जिंक ऑक्साइड बनता है।


जिंक ऑक्साइड (ZnO) को कोयले के चूर्ण के साथ गर्म करने पर जस्ता धातु प्राप्त होता है।

प्राप्त जस्ता अशुद्ध होता है। अतः इसे विधुत अपघटन विधि द्वारा शुद्ध कर लिया जाता है।


10. जिंक ब्लेंड से जस्ता का निष्कर्षण कैसे किया जाता है?

उत्तर ⇒सांद्रित जिंक ब्लेंड को वायु की उपस्थिति में उच्च ताप पर गर्म करने से जिंक ऑक्साइड (ZnO) प्राप्त होता है।

अब जिंक ऑक्साइड को कोयले के चूर्ण के साथ गर्म करने पर जस्ता धातु प्राप्त होता है ?


प्राप्त जस्ता अशुद्ध होता है। अत: इसे वैद्युत अपघटन विधि द्वारा शुद्ध कर लिया जाता है।


11. लोहे के प्रमुख अयस्क का नाम और अणु-सूत्र लिखें। लोहे के निष्कर्षण में वात्या भट्ठी में होने वाली अभिक्रियाओं को समीकरण द्वारा व्यक्त करें ?

उत्तर ⇒लोहे का प्रमुख अयस्क हेमेटाइट (Fe₂O₃) है।


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12. एल्युमिनियम के अयस्कों का नाम एवं सूत्र लिखिए ? इसका प्रमुख अयस्क कौन है ? इससे एल्युमिनियम का निष्कर्षण कैसे किया जाता है ?

उत्तर ⇒ एल्युमिनियम के अयस्कों के नाम एवं सूत्र –
बॉक्साइट (Al₂O₃ 2H₂O), कोरंडम (Al₂O₃), क्रायोलाइट (Na₃AlF₆)
इसका प्रमुख अयस्क बॉक्साइट है, जिससे Al का निष्कर्षण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है। सांद्रित बॉक्साइट अयस्क को चूना की उपस्थिति में सोडियम कार्बोनेट के साथ गर्म करने पर सोडियम एलुमिनेट बनता है।

Al₂O₃ + Na₂CO₃ → 2NaAlO₂ + CO₂

अवशेष को जल के साथ मिलाने पर सोडियम एलुमिनेट जल में घुल जाता है, जिन्हें छानकर अलग कर दिया जाता है। अब छनित द्रव में 50° – 60°C पर CO₂ गैस प्रवाहित करने पर एल्युमिनियम हाइड्राक्साइड का अवक्षेपण प्राप्त होता है। अवक्षेप को छानकर सुखा लेते हैं। उसके बाद उसे तीव्रता से गर्म करके शुद्ध एलुमिना प्राप्त किया जाता है।
2NaAlO₂ +3H₂O + CO₂ → Al(OH)₃ + Na₂Co₃
2Al(OH)₃ → Al₂O₃ +3H₂O
एलुमिना का विधुत अपघटन करने पर शुद्ध एलुमिनियम प्राप्त होता है जो कैथोड पर एकत्रित हो जाता है।


13. एलुमिनोथर्मिट विधि क्या है ? वर्णन कीजिए ?

उत्तर ⇒ कुछ धातुओं के ऑक्साइड कार्बन द्वारा अवकृत नहीं हो पाई हैं। इनके लिए एल्युमिनियम जैसे किसी अधिक क्रियाशील धातु का इस्तेमाल किया जाता है। यह विधि थर्मिट विधि या एल्युमिनोथर्मिट विधि कहलाती है। मैंगनीज (Mn), क्रोमियम (Cr) आदि के ऑक्साइडों का अवकरण इस विधि द्वारा किया जाता है।

जैसे – 3Mn₃O₄ +8Al → 4Al₂O₃ +9Mn
Cr₂O₃ + 2Al → Al₂O₃ +2Cr


14. अयस्क के सान्द्रण की निम्नलिखित विधियों में से किसी एक का वर्णन करें ?
(i). द्रव चालित धुलाई            (ii). फेन प्लवन विधि
(iii). चुम्बकीय पृथक्करण      (iv). रासायनिक पृथक्करण

उत्तर ⇒ अयस्क के सान्द्रण की विधियाँ निम्न हैं-.
(i). द्रवचालित धुलाई : इस विधि का उपयोग साधरणत: ऑक्साइड अयस्कों के सान्द्रण के लिए किया जाता है। इस विधि में अयस्क को पहले चूर्णित कर लिया जाता है। चूर्णित अयस्क को एक बड़े लकड़ी के टेबल पर रखते हैं। इसके बाद अयस्क से होकर जल की धारा प्रवाहित की जाती है। ऐसा करने से हल्के गैंग के कण जल के साथ बह जाते हैं और अयस्क के भारी कण टेबल पर रह जाते हैं। इस प्रकार अयस्क सान्द्रित हो जाता है। इस विधि द्वारा टिन तथा लेड के अयस्क, आयरन के हेमाटाइट अयस्क का सान्द्रण किया जाता है।

(ii). फेन प्लवन विधि : इस विधि का उपयोग सल्फाइड अयस्कों से गैंग को पृथक करने के लिए किया जाता है। इस विधि में पहले सल्फाइड अयस्क को महीन चूर्ण में बदलकर उसे एक बड़े टैंक में रखा जाता है। अब उसमें जल तथा पाइन तेल मिश्रित किया जाता है। इसके बाद इसमें संपीडित वायु प्रवाहित किया जाता है। ऐसा करने से सल्फाइड अयस्क युक्त फेन ऊपर तैरने लगता है और गैंग बर्तन की सतह पर बैठ जाता है। सल्फाइड अयस्क युक्त फेन से अयस्क को हटाकर सुखा लिया जाता है। इस प्रकार सल्फाइड अयस्क का सान्द्रण हो जाता है। इस विधि द्वारा कॉपर पाइराइट, जिंक ब्लेंड, गैलेना आदि अयस्कों को सान्द्रित किया जाता है।

(iii). चुम्बकीय पृथक्करण : इस विधि द्वारा चुम्बकीय अयस्को को सान्द्रित किया जाता है। इस विधि में मैग्नेटिक सेपरेटर का उपयोग किया जाता है। इसमें एक लेदर का बेल्ट लगा रहता है और यह दो रौलरों पर घूमता है। एक रौलर विधुत चुम्बकीय होता है। जिसे M द्वारा सुचित किया जाता है।

पहले अयस्क को महीन चूर्ण बना लिया जाता है। चूर्णित अयस्क को घूमते हुए बेल्ट पर हॉपर के द्वारा डाला जाता है। अयस्क बेल्ट पर एक किनारे से दूसरे किनारे पर जाता है। चुम्बकीय अयस्क इलेक्ट्रोमैग्नेट द्वारा आकर्षित होकर अलग ढेर बनाता है और अचुम्बकीय पदार्थ का अलग ढेर बनता है। इस प्रकार चुम्बकीय अयस्क सान्द्रित हो जाता है। इस विधि द्वारा आयरन अयस्क जैसे- हेमाटाइट (Fe₃O₄) तथा क्रोमाइट
[Fe(CrO₂)₂] तथा मैंगनीज अयस्क जैसे- पाइरोलुसाइट (MnO₂) को सान्द्रित किया जाता है।
रासायनिक पृथक्करण : इस विधि का उपयोग तब किया जाता है जब अयस्क में उपस्थित धातु के यौगिक तथा गैंग के रासायनिक गुणों में भिन्न्ता हो। उदाहरण के लिए हो सकता है कि धातु के यौगिक किसी अभिकर्मक के साथ क्रिया कर जल विलय प्रतिफल का निर्माण करें किन्तु गैंग नहीं। जैसे बेयर विधि द्वारा बॉक्साइट का सान्द्रण।


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15. कॉपर के दो प्रमुख अयस्कों के नाम लिखें। इसके निष्कर्षण के विभिन्न चरणों को विस्तार से लिखें ?

उत्तर ⇒ कॉपर के दो प्रमुख अयस्क हैं –
(i) कॉपर पाइराइट (CuFes₂)
(ii) क्यूप्राइट (Cu₂O)
निष्कर्षण :
(i). सांद्रण : अयस्क को पीस कर फेन उत्प्लवन विधि से सान्द्रित किया जाता है।
(ii). जारण : सांद्रित अयस्क का जारण किया जाता है।
2CuFeS₂ + O₂ → Cu₂S + 2FeS + SO₂ ↑

(iii). प्रगलन: जारित अयस्क में कोक और बालू मिलाकर वातभट्टी में गर्म किया जाता है।
2FeS+ 3O₂ → 2FeO + 2SO₂
FeO + SiO₂ → FeSiO₃ (स्लैग)

(iv). अवकरण : स्लैग को हटाने के बाद लगभग शुद्ध कॉपर सल्फाइड शेष रह जाता है। गर्म करने पर Cu₂S आंशिक रूप से Cu₂O में ऑक्सीकृत हो जाता है। तापमान बढ़ने पर Cu₂O₂ Cu₂S से अभिक्रिया कर Cu (कॉपर) धातु निर्मित करता है।

2Cu₂O+Cu₂S → 6Cu+SO₂↑


16. धातु और अधातु में पाँच अंतर लिखें जिसमें तीन भौतिक और दो रासायनिक गुणों को लिखें ?

उत्तर ⇒ धातु के भौतिक गुण –
(i). यह विधुत और ताप के सुचालक होते हैं।
(ii). धातु तन्य और आघातवर्ध्य होते हैं।
(iii). इनमें धात्विक चमक होती है।

धातु के रासायनिक गुण –
(i). इनमें इलेक्ट्रॉन खोने की प्रवृत्ति होती है।
(ii). धातु के ऑक्साइड भस्मीय होते हैं और जल में घुलकर क्षार बनाते हैं।
Na₂O+ H₂O → 2NaOH

अधातु के भौतिक गुण –
(i) यह विधुत और ताप के कुचालक होते हैं।
(ii) अधातु भंगुर होते हैं।
(iii) इनमें प्रायः चमक नहीं होती है।
अधातु के रासायनिक गुण –
(i). इनमें इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति होती है।
(ii). अधातु के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं और जल में घुलकर अम्ल बनाते हैं।
CO₂ + H₂O → H₂CO₃


Class 10th Science (Chemistry) Subjective Question 2023 (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) 

S.N Class 10th Chemistry (रसायन विज्ञान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) 
1. रासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण
2. अम्ल क्षार एवं लवण
3. धातु एवं अधातु
4. कार्बन और उसके यौगिक
5. तत्वों का वर्गीकरण

Class 10th Science (Chemistry) Subjective Question 2023 (लघु उत्तरीय प्रश्न ) 

रसायन विज्ञान ( CHEMISTRY ) लघु उत्तरीय प्रश्न
1. रासायनिक अभिक्रियाएं एवं समीकरण
2. अम्ल क्षार एवं लवण
3. धातु एवं अधातु
4. कार्बन और उसके यौगिक
5. तत्वों का वर्गीकरण
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