(Class 10th Sanskrit Objective & Subjective Question Answer 2023) : दोस्तों अगर आप लोग इस बार बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हैं और संस्कृत में अच्छे अंको से पास होना चाहते हैं तो यहां पर संस्कृत के सभी प्रश्नों का जवाब चैप्टर वाइज चैप्टर इस वेबसाइट पर दिया गया है तथा कक्षा 10th संस्कृत का शास्त्रकाराः पाठ का सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर (Class 10th Sanskrit Chapter-14 Shastrakara Path Ka Most Important Subjective Question Paper) नीचे दिया गया है अगर आप लोग क्लास 10th शास्त्रकाराः पाठ का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर (Class 10th Sanskrit Chapter-14 Shastrakara Path Ka VVI Objective Question Answer 2023) पढ़ना चाहते हैं तो लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं तथा बिहार बोर्ड संस्कृत का ऑफिशियल मॉडल पेपर (Class 10th Sanskrit Official Model Paper Download) तथा संस्कृत का ऑनलाइन टेस्ट (Class 10 Sanskrit mcq Online Test) भी इस वेबसाइट से दे सकते हैं
पाठ – 14 शास्त्रकाराः (Shastrakara) |
Shastrakara (शास्त्रकाराः) 10th Sanskrit Short & Long Type Question Answer 2023
1. वेदाङ्गों कौन-कौन से हैं ?
अथवा, वेद कितने हैं ? सभी के नाम लिखें। अथवा, वेदाङ्गों के नाम लिखें।
अथवा, वेदांग कितने हैं ? सभी का नाम लिखें।
उत्तर ⇒ वेदांग छह हैं-शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष । वेद चार हैं-ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद और सामवेद।
2. वैज्ञानिक शास्त्रों का परिचय दें।
अथवा, “शास्त्रकाराः’ पाठ में वर्णित वैज्ञानिक शास्त्रों पर प्रकाश डालें।
उत्तर ⇒ प्राचीन भारत में विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में शास्त्रों की रचना हो गई । आयुर्वेद में चरक द्वारा रचित चरकसंहिता तथा सुश्रुत द्वारा रचित सुश्रुत संहिता उल्लेखनीय है । रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान इसी से उत्पन्न हुई। ज्योतिषशास्त्र में ही खगोल विज्ञान गणित आदि हैं। आर्यभट्ट का ग्रंथ आर्यभटीय नाम से प्रसिद्ध है । वराह मिहिर की वृहत्संहिता विभिन्न विषयों का विशाल ग्रंथ है। पराशर द्वारा रचित कृषि विज्ञान, वास्तुशास्त्र आदि अनेकों वैज्ञानिक शास्त्रों की उत्पत्ति व विकास प्राचीन भारत में ही हुई थी।
3. आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ कौन-कौन हैं ?
उत्तर ⇒ आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथ हैं-चरकसंहिता, सुश्रुतसंहिता और वाङ्गभट्ट संहिता आदि।
4. षट् वेदाङ्गों के नाम लिखें।
अथवा, वेदाङ्गों एवं उनके रचनाकारों का नामोल्लेख करें। अथवा, वेदाङ्ग कितने हैं ? उनके प्रवर्तकों एवं शास्त्रों के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ वेदांग शास्त्र छह हैं
S.N | शास्त्र | प्रवर्तक |
(i) | शिक्षा | पाणिनि |
(ii) | कल्प | बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वशिष्ट |
(iii) | व्याकरण | पाणिनि |
(iv) | निरुक्त | यास्क |
(v) | छन्द | पिंगल |
(vi) | ज्योतिष | लगधर |
5. भारतीय दर्शनशास्त्र एवं उनके प्रवर्तकों की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ भारतीय दर्शनशास्त्र छह हैं । सांख्य-दर्शन के प्रवर्तक कपिल, योग-दर्शन के प्रवर्तक पतञ्जलि, न्याय-दर्शन के प्रवर्तक गौतम, वैशेषिक-दर्शन के प्रवर्तक कणाद मीमांसा-दर्शन के प्रवर्तक जैमिनी तथा वेदांत-दर्शन के प्रवर्तक बादरायण ऋषि हैं।
NCERT Class 10th Sanskrit पाठ 14 शास्त्रकाराः क्वेश्चन आंसर
6. कुल की रक्षा कैसे होती है ?
उत्तर ⇒ कुल की रक्षा सदाचार से होती है।
7. गुरु के द्वारा शास्त्र का क्या लक्ष्य बतलाया गया है ?
उत्तर ⇒ शास्त्र ज्ञान का शासक है। मानवों को कर्त्तव्य अथवा अकर्त्तव्य के विषय में शिक्षा देना ही शास्त्र का मुख्य लक्ष्य है। प्रवृत्ति, निवृत्ति, कृतक द्वारा ज्ञान के उपदेश द्वारा मनुष्य को अनुशासित करना शास्त्र का लक्ष्य है।
8. कल्प ग्रंथों के प्रमुख रचनाकारों का नामोल्लेख करें।
उत्तर ⇒ कल्प ग्रंथों के प्रमुख रचनाकार बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वशिष्ठ आदि हैं।
9. ज्योतिषशास्त्र के अंतर्गत कौन-कौन शास्त्र हैं तथा उनके प्रमुख ग्रंथ कौन से है ?
उत्तर ⇒ ज्योतिषशास्त्र के अंतर्गत खगोल गणित, विज्ञान आदि शास्त्र आते हैं।
आर्यभटीयम्, वृहत्संहिता आदि उनके प्रमुख ग्रंथ हैं।
10. शास्त्रं मानवेभ्यः किं शिक्षयति ?
उत्तर ⇒ शास्त्र मनुष्य को कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य का बोध कराता है। शास्त्र ज्ञान का शासक होता है। सुकर्म-दुष्कर्म, सत्य-असत्य आदि की जानकारी शास्त्र से ही मिलती है।
शास्त्रकाराः (Shastrakara) VVI Subjective Question
11. ‘शास्त्रकाराः’ पाठ के आधार पर शास्त्र की परिभाषा अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर ⇒ सांसारिक विषयों से आसक्ति या विरक्ति, स्थायी, अस्थायी या कृत्रिम उपदेश जो लोगों को देता है उसे शास्त्र कहते हैं। यह मानवों के कर्त्तव्य और अकर्तव्य का बोध कराता है। यह ज्ञान का शासक है। आजकल अध्ययन विषय को भी शास्त्र कहा जा सकता है। पाश्चात्य देशों में अनुशासन को ही शास्त्र कहते हैं।
12. शास्त्रकाराः’ पाठ के आधार पर संस्कृत की विशेषता बताएँ।
उत्तर ⇒ ‘शास्त्रकाराः’ पाठ के अनुसार भारतीय ज्ञान-विज्ञान संस्कृत शास्त्रों में वर्णित है। संस्कृत में ही वेद, वेदांग, उपनिषद् तथा दर्शनशास्त्र रचित हैं। इस प्रकार संस्कृत लोगों को कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य, संस्कार, अनुशासन आदि की शिक्षा देता है।
13. शास्त्र मनुष्यों को किन-किन चीजों का बोध कराता है ?
उत्तर ⇒ शास्त्र मनुष्यों को कर्तव्य और अकर्त्तव्य का बोध कराता है।
14. शास्त्रकाराः पाठ में किस विषय पर चर्चा की गई है ?
उत्तर ⇒ शास्त्रकाराः पाठ में शास्त्रों के माध्यम से सदगुणों को ग्रहण करने की प्रेरणा है। इससे हमें अच्छे संस्कार की सीख मिलती है। यश प्राप्त करने की शिक्षा भी मिलती है।
15. शास्त्र क्या है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ शास्त्र का अर्थ ज्ञान का शासक या निर्देशक तंत्र है। मनुष्यों के कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य विषयों की वह शिक्षा देता है। शास्त्र को ही आजकल अध्ययन विषय कहते हैं। पश्चिमी देशों में शास्त्र को अनुशासन कहा जाता है। सांसारिक विषयों में अनुरक्ति अथवा विरक्ति, नित्य मानवरचित कृतियों के द्वारा मानव को जो उपदेश दिया जाता है उसे शास्त्र कहा जाता है। शास्त्र नित्य वेदरूप या मानव रचित ऋषियों आदि द्वारा प्रणीत होता है।
शास्त्रकाराः कक्षा 10 एनसीईआरटी सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर
16. वेद के अङ्गों तथा उसके प्रवर्तकों के नाम लिखें।
उत्तर ⇒ वेद के छह अङ्ग हैं-
(i) शिक्षा, (ii) कल्प, (iii) व्याकरण, (iv) निरुक्त, (v) छन्द और (vi) ज्योतिष ।
शिक्षा अङ्ग के प्रवर्तक पाणिनि हैं । कल्प अङ्ग के प्रवर्तक बौधायन, भारद्वाज, गौतम, वशिष्ठ आदि ऋषि हैं । व्याकरण अङ्ग के प्रवर्तक पाणिनी हैं । निरुक्त के प्रवर्तक यास्क हैं। छन्द अङ्ग सूत्रग्रंथ है, जिसके प्रवर्तक पिङ्गल हैं।
17. भारतीय शास्त्रकारों का परिचय दें।
उत्तर ⇒ भारतवर्ष में शास्त्रों की महान परम्परा सुनी जाती है। प्रमाणस्वरूप शास्त्र समस्त ज्ञान के स्रोत-स्वरूप है। भारत में अनेक शास्त्रकार हुए जिन्होंने कई शास्त्रों की रचना की है। सर्वप्रथम वेदांग शास्त्र हैं। वे हैं-शिक्षा, कल्पं, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष। इनके प्रवर्तक हैं-पाणिनी, गौतम आदि यास्क, पिंगल तथा लगधर। सांख्यदर्शन के प्रवर्तक कपिल मुनि हैं। योगदर्शन के पातंजलि हैं। इसी तरह गौतम ने न्यायदर्शन की रचना की है।
18. विज्ञान की शिक्षा देनेवाले शास्त्र का परिचय दें।
उत्तर ⇒ प्राचीन भारत में विज्ञान की विभिन्न शाखाओं की पुस्तकों की रचना हुई। आयुर्वेदशास्त्र में चरकसंहिता और सुश्रुत तो शास्त्रकार के नाम से ही प्रसिद्ध हैं। वहीं रसायन विज्ञानं और भौतिक विज्ञान अंतर्भूत हैं। ज्योतिषशास्त्र में भी खगोल विज्ञान, गणित इत्यादि शास्त्र हैं। आर्यभट्ट की पुस्तक आर्यभट्टीय नाम से विख्यात है। इसी तरह बराहमिहिर की बृहत्संहिता विशाल ग्रंथ है जिसमें अनेक विषयों का समावेश है। वास्तुशास्त्र भी यहाँ व्यापक शास्त्र है। कृषि विज्ञान पराशर के द्वारा रचित हैं। ज्योतिष अङ्ग के प्रवर्तक लगधर ऋषि हैं।
19. ‘शास्त्रकाराः’ पाठ में प्रश्नोत्तर शैली क्यों अपनाई गई है ?
उत्तर ⇒ भारतवर्ष में शास्त्रों की बहुत बड़ी परंपरा है। मनोरंजन के लिए शास्त्रकाराः पाठ में प्रश्नोत्तर शैली अपनाई गई है।
20. ‘शास्त्रकाराः’ पाठ में शास्त्रों के प्रवर्तकों का वर्णन क्यों है ?
उत्तर ⇒ भारत प्राचीन काल में ज्ञान के क्षेत्र में आगे था। विज्ञान दर्शन के क्षेत्र में यह विश्व को ज्ञान देता था। प्राचीन शास्त्र. मात्र पूजा एवं कर्मकांड तक ही सीमित नहीं था। इसलिए शास्त्रकाराः पाठ में प्राचीन शास्त्र एवं उनके प्रवर्तकों का वर्णन है।
कक्षा 10वीं संस्कृत शास्त्रकाराः (Shastrakara) Subjective Question Answer 2023
21. भारतीय दर्शनशास्त्रों तथा उनके प्रवर्तकों की चर्चा करें।
उत्तर ⇒ भारतीय दर्शनशास्त्र छह. हैं । सांख्य-दर्शन के प्रवर्तक कपिल, योग-दर्शन के प्रवर्तक पतञ्जलि, न्याय-दर्शन के प्रवर्तक गौतम, वैशेषिक-दर्शन के प्रवर्तक कणाद मीमांसा-दर्शन के प्रवर्तक जैमिनी तथा वेदांत-दर्शन के प्रवर्तक बादरायण ऋषि हैं।
22. शास्त्रकाराः पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर ⇒ यह नवनिर्मित संवादात्मक पाठ है। इसमें प्राचीन भारतीय शास्त्रों तथा उनके प्रमुख रचयिताओं का परिचय दिया गया है। इससे भारतीय सांस्कृतिक निधि के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न होती है। यही इस पाठ का उद्देश्य है। इस वार्तालाप का उपयोग कक्षा में हो सकता है।
23. वेदरूप शास्त्र और कृत्रिम शास्त्र में क्या अंतर है ?
उत्तर ⇒ जो शास्त्र ईश्वरप्रदत्त है, नित्य है, उस शास्त्र को वेदरूप शास्त्र कहतें हैं। कृत्रिम शास्त्रं उस शास्त्र को कहते हैं, जो ऋषियों द्वारा लिखे गए हैं, अथवा विद्वानों द्वारा रचे गए हैं। ‘वेद’ वेदरूप शास्त्र का उदाहरण है तथा
‘रामायण’ कृत्रिम शास्त्र का उदाहरण है।
24. “शास्त्रकाराः’ पाठ के आधार पर शास्त्र की परिभाषा दें।
उत्तर ⇒ सांसारिक विषयों से आसक्ति या विरक्ति, स्थायी, अस्थायी या कृत्रिम उपदेश जो लोगों को देता है. उसे शास्त्र कहते हैं। यह मानवों के कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य का बोध कराता है। यह ज्ञान का शासक है। आजकल अध्ययन विषय को भी शास्त्र कहा जा सकता है। पाश्चात्य देशों में अनुशासन को ही शास्त्र कहते हैं।
25. ‘शास्त्रकारा:’ पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर ⇒ प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि भारतवर्ष में शास्त्रों की महती परंपरा प्राचीनकाल से ही चली आ रही है। समस्त ज्ञान के स्रोत शास्त्र ही हैं । शास्त्र के प्रवर्तक शास्त्रों के माध्यम से सद्गुणों को ग्रहण करने के लिए हमें प्रेरित करते हैं। इससे हम अच्छे संस्कार और यश प्राप्त करते हैं। प्रश्नोत्तर शैली के कारण हमारा मनोरंजन भी होता है।
SANSKRIT ( संस्कृत ) SUBJECTIVE
S.N | Class 10th Sanskrit Subjective Question Answer |
1. | मङ्गलम् |
2. | पाटलिपुत्रवैभवम |
3. | अलसकथा |
4. | संस्कृतसाहित्ये लेखिकाः |
5. | भारतमहिमा |
6. | भारतीयसंस्काराः |
7. | नीतिश्लोकाः |
8. | कर्मवीरकथा |
9. | स्वामी दयानन्दः |
10. | मन्दाकिनीवर्णनम् |
11. | व्याघ्रपथिककथा |
12. | कर्णस्य दानवीरता |
13. | विश्वशांति: |
14. | शास्त्रकाराः |
Class 10th Sanskrit Subjective Question Answer : बिहार बोर्ड मैट्रिक परीक्षा 2023 के लिए संस्कृत का सब्जेक्टिव प्रश्न 10th class sanskrit subjective question answer सभी चैप्टर का ऊपर दिया गया है जिस पर आप क्लिक करके कक्षा 10वीं संस्कृत का लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर को पढ़ सकते हैं और मैट्रिक बोर्ड परीक्षा 2023 में अच्छे अंक ला सकते हैं ।