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Class 10th Science (विज्ञान) VVI Guess Paper Question Answer 2023
S.N | Science (विज्ञान) 📒 |
1. | Physics (भौतिक बिज्ञान) Guess Paper |
2. | Chemistry (रसायन शास्त्र) Guess Paper |
3. | Biology (जिव-विज्ञान) Guess Paper |
जिव-विज्ञान पाठ-1 जैव प्रक्रम का पोषण का सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न |
(क). पोषण |
1. यकृत का कार्य बताएँ।
उत्तर⇒ यकृत शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है। यकृत की कोशिकाओं से पित्त का स्त्राव होता है। इस पित्त का संचय पित्ताशय नामक एक थैलीनुमा रचना में होता है। पित्त आमाशय से ग्रहणी में आए अम्लीय काइम की अम्लीयता को नष्ट कर उसे क्षारीय बना देता है ताकि अग्न्याशयी रस के एंजाइम उस पर क्रिया कर सके। पित्त के लवणों की मदद से भोजन में उपस्थित वसा का विखंडन तथा पायसीकरण होता है। यकृत प्रोटीन उपापचय में भी सक्रिय भाग लेता है। यकृत रक्त में ग्लूकोस की मात्रा नियमित बनाए रखने में सहायक होता है। यह ग्लाइकोजिन का निर्माण तथा संचय करने में मदद करता है।
2. स्वयंपोषी पोषण तथा विषमपोषी पोषण में क्या अंतर है ?
उत्तर⇒ स्वयंपोषी पोषण
(i) इस प्रकार के पोषण में जीव अपना भोजन स्वयं संश्लेषित करते हैं।
(ii) इसमें जीव सरल अकार्बनिक अणुओं से जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेषण करते हैं।
(iii) इसमें क्लोरोफिल उपस्थित रहता है।
उदाहरण- पादप तथा कुछ जीवाणु
विषमपोषी पोषण :
(i). इस प्रकार के पोषण में जीव अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर रहते हैं।
(ii) इसमें जंतुओं द्वारा ग्रहण किए गए जटिल कार्बनिक अणुओं का विभिन्न जैविक क्रियाओं द्वारा सरल कार्बनिक अणुओं में निम्नीकरण होता है।
(iii) इसमें क्लोरोफिल अनुपस्थित रहता है। उदाहरण : जन्तु तथा कवक
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3. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है ?
उत्तर⇒पचे हुए भोजन का अवशोषण अधिक हो सके तथा सतही क्षेत्रफल अधिक हो इसके लिए क्षुद्रांत्र के आंतरिक स्तर पर अनेक अंगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं। जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं। दीर्घरोम में रूधिरवाहिकाओं की बहुतायत होती है। जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाती है। इन कोशिकाओं में भोजन का प्रयोग ऊर्जा प्राप्ति के लिए किया जाता है तथा नये ऊतकों के निर्माण तथा टूटे हुए ऊतकों
की मरम्मत हेतु होता है।
4. अमीबा का भोजन क्या है? अमीबा में पोषण का वर्णन करें।
उत्तर⇒ अमीबा एक सरल प्राणिसमपोषी जीव है। अमीबा का भोजन शैवाल के छोटे-छोटे टुकड़े, जीवाणु, डायटम, एककोशिकीय जीव तथा मृत कार्बनिक पदार्थ के छोटे-छोटे टुकड़े आदि है। अमीबा में पोषण निम्न प्रक्रियाओं द्वारा होता है।
(i). अंतर्ग्रहण : यह प्रक्रिया अमीबा की सतह के किसी भी स्थान से होता है, जिसमें जब भोजन अमीबा के नजदीक होता है तो वह भोजन के चारो ओर कूटपादो का निर्माण कर भोजन अपने अन्दर लेकर भोजन-रसधानी का निर्माण करता है।
(ii). पाचन : भोजन का पाचन, भोजन-रसधानी में ही एंजाइमों द्वारा होता है, पचा हुआ रसधानी से निकलकर कोशिका द्रव्य में पहुँच जाता है और वहाँ से साइटोप्लाज्म में वितरित हो जाता
(iii). बहिष्करण : अमीबा अपने अपचे भोजन को शरीर के बाहर सतह के किसी भाग में एक अस्थायी छिद्र के निर्माण होने के कारण बने छिद्र से बाहर निकाल देता
5. मनुष्य के आहारनाल का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर⇒
जिव-विज्ञान पाठ-1 जैव प्रक्रम का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न श्वसन का सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर
(ख). श्वसन |
1. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर है ? कुछ जीवों का नाम लिखिए, जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
उत्तर⇒ वायवीय श्वसन :
(i). यह ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है।
(ii). इसमें ग्लूकोस का पूर्ण ऑक्सीकरण होता है।
(iii). इसमें CO₂, जल तथा ऊर्जा का उत्पादन होता है।
(iv). इसमें अधिक मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन होता है। (38 ATP)
अवायवीय श्वसन :
(i). यह ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता
(ii). इसमें अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है।
(iii). इसमें एथाइल एल्कोहॉल, CO₂ तथा ऊर्जा का निर्माण होता है।
(iv). इसमें कम मात्रा में ऊर्जा का उत्पादन होता है। (2 ATP) फीताकृमि, गोलकृमि, यीस्ट तथा कुछ जीवाणु ऐस जीव हैं जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
2. श्वसन और प्रकाशसंश्लेषण में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒ श्वसन और प्रकाशसंश्लेषण में निम्न अंतर है।
(i) श्वसन एक अपचयी प्रक्रम है, जिसमें ग्लूकोस का विखंडन होता है जबकि प्रकाशसंश्लेषण एक उपचयी प्रक्रम है, जिसमें ग्लूकोस का संश्लेषण होता है।
(ii) श्वसन की क्रिया में ऑक्सीजन का प्रयोग होता है जबकि प्रकाशसंश्लेषण में Co₂ का प्रयोग होता है।
(iii).श्वसन जैव ऊर्जा उत्पादन का एक मात्रा साधन है जबकि प्रकाशसंश्लेषण भोजन उत्पादन का एक मात्र साधन है।
(iv) श्वसन के अन्त में CO₂ मुख्य उपोत्पाद होता है जबकि प्रकाशसंश्लेषण में O₂ मुख्य उपोत्पाद होता है।
3. मानव श्वसन तंत्र का स्वच्छ नामांकित चित्र खींचे एवं इसके कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर⇒
कार्य – जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और हमारा डायफ्राम चपटा हो जाता है। इससे वक्षगुहिका बड़ी हो जाती है और वायु फुफ्फुस के भीतर चुस ली जाती है। वह विस्तृत कूपिकाओं को ढक लेती है। रूधि र शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिका रूधिर वाहिका का रूधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है, फुफ्फुस सदैव वायु का विशेष आयतन रखते हैं जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण तथा कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।
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4. ग्लूकोस के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या है ?
उत्तर⇒ पहले चरण में ग्लूकोस के छ: कार्बन वाले अणु तीन कार्बन वाले अणु पायरूवेट में विखण्डन हो जाता है। यह प्रक्रिया कोशिका द्रव्य में होती है। इसके बाद पायरूवेट एथेनॉल तथा ऑक्सीजन में परिवर्तित हो जाता है। इसके बाद पायरूवेट का विखण्डन विभिन्न जीवों में निम्न तरीकों से होता है।
(i). अवायवीय श्वसन : यह क्रिया ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होती है। यह प्रक्रम किण्वन के समय यीस्ट में होता है।
(ii). वायवीय श्वसन : यह क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति में होती है। इसमें पायरूवेट का विखण्डन होता है। यह प्रक्रम माइटोकॉण्ड्रिया में होता है और इसमे ऊर्जा का उत्पादन अवायवीय श्वसन की तुलना में अधिक होती है।
(iii) ऑक्सीजन की कमी : कभी-कभी जब हमारी पेशी कोशिकाओं में अत्यधिक व्यायाम के कारण ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है तब पायरूवेट का लैक्टिक अम्ल में परिवर्तन हो जाता है।
जिव-विज्ञान पाठ-1 जैव प्रक्रम का (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) परिवहन का सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर
(ग). परिवहन |
1. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है ?
उत्तर⇒ प्रकाशसंश्लेषण के विलेय उत्पादों का फ्लोएम के द्वारा वहन होना स्थानांतरण कहलाता है। यह कार्य चालनी कोशिकाओं तथा सहचर कोशिकाओं द्वारा सम्पन्न होता है। भोजन कणों का परिवहन ऊपर तथा नीचे दोनों दिशाओं में होता है। यह क्रिया एक सत्त क्रिया है जो ऊर्जा के उपयोग से पूरा होता है। सुक्रोस जैसे पदार्थ फ्लोएम ऊतक परासरण दाब बढ़ा देता है, जिससे जल इसमें प्रवेश कर जाता है। यह-दाब पदार्थों को फ्लोएम से उस ऊतक तक ले जाता है जहाँ दाब कम होता है। फ्लोएम पादप की आवश्यकता के अनुसार पदार्थों का स्थानांतरण करता है।
2. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन-से हैं? इन घटकों के क्या कार्य है।
उत्तर⇒ मानव में वहन तंत्र के निम्न घटक है।
(i) हृदय के कार्य : हृदय एक पेशीय अंग है जो हमारी मुठ्ठी के आकार का होता है। यह शरीर में रूधिर को प्रवाहित करता है। यह विऑक्सीजनित रूधिर को शरीर के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त करता है और दूसरी ओर ऑक्सीजनित रूधिर समस्त शरीर में पंप करके पहुँचा देता है।
(ii) रूधिर : रूधिर तरल संयोजी अवयव है, जिसमें प्लाजमा, लाल रक्त कणिकाएँ तथा प्लेटलेट्स होते हैं।
(क). प्लाजमा भोजन, CO₂तथा नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जन पदार्थों का परिवहन करता है।
(ख). लाल रक्त कणिकाए. श्वसन गैसों तथा हॉर्मोनो का परिवहन करती है।
(ग). श्वेत रक्त कणिकाएँ संक्रमण से शरीर की रक्षा करती है।
(घ). प्लेटलेट्स रक्तस्त्राव के स्थान पर रूधिर का थक्का बनाकर मार्ग अवरूद्ध कर देते है जिससे रूधिर का बहना बन्द हो जाता है।
(iii) रूधिर वाहिकाएँ : यह रूधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाती है। इनकी भित्ती मोटी तथा लचीली होती है।
3. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए। यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर⇒ रूधिर को शरीर में एक बार पहुँचने के लिए मानव हृदय से दो बार गुजरना पड़ता है। इसलिए इसे दोहरा परिसंचरण कहा जाता है। इसके अन्तर्गत परिसंचरण आते हैं –
(i) सिस्टामिक परिसंचरण (ii) परमोनरी परिसंचरण
(i). सिस्टमिक परिसंचरण : यह बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में ऑक्सीजन रूधिर पहुँचाता है, जहाँ से यह शरीर के विभिन्न भागों में पंप किया जाता है। विऑक्सीजनित रूधिर शरीर के विभिन्न हिस्सों से शिरा द्वारा इकट्ठा करके महाशिरा में डाला जाता है। अन्त में यह रूधिर दाएँ अलिंद में पहुँचता है और दाएँ अलिंद से बाएँ निलय दाएँ निलय से ऑक्सीजनित होने के लिए फेफड़ों में भेजा जाता है। ऑक्सीजनित रूधिर फिर से मानव हृदय में बाएँ अलिंद में आता है। बाएँ अलिंद से बाएँ निलय में, बाएँ निलय से महाधमनी में और फिर सिस्टॉमिक परिसंचरण द्वारा शरीर के सभी भागों में पहुँचता है।
(ii). दोहरा परिसंचरण की आवश्यकता : मानव हृदय का दायाँ तथा बायाँ हिस्सा, ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रूधिर को मिलने नहीं देता है। इनके अलग-अलग रहने से शरीर में ऑक्सीजन बहुत प्रभावी तरीके से पहँचता है। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए ऊर्जा देता रहता है।
Jaiv Prakram Question Answer Class 10th Science
4. धमनी एवं शिरा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒ धमनी :
(i) यह रक्त को हृदय से पूरे शरीर में प्रवाहित करती है।
(ii) इनमें रक्त तेजी से जर्क के साथ प्रवाहित होता है।
(iii) इनकी गुहा पतली होती है।
(iv) इनकी दीवार मोटी एवं लचीली होती है।
(v) इसमें कपाट नहीं होते हैं।
(vi) मृत्यु के बाद धमनियाँ खाली हो जाती है।
शिरा :
(i) यह रक्त को पूरे शरीर से इकट्ठा कर हृदय में ले जाती है।
(ii) इनमें जर्क नहीं होता तथा रक्त प्रवाह की चाल धीमी होती है।
(iii) इनकी गुहा चौड़ी होती है।
(iv) इनकी दीवार पतली एवं कम लचीली होती है।
(v) इसमें कपाट उपस्थित रहता है।
(vi) मृत्यु के बाद भी शिराओं में रक्त पाया जाता है।
5. रक्त के विभिन्न कार्यों का उल्लेख करें ?
उत्तर⇒ रक्त एक तरल संयोजी ऊतक है। रक्त के तीन प्रमुख कार्य पदार्थों का परिवहन, संक्रमण से शरीर की सुरक्षा एवं शरीर के तापमान को नियंत्रित करना है। रक्त के कुछ और कार्य निम्न हैं।
(i). यह फेफड़े से ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों में पहुँचाता है।
(ii) यह शरीर की कोशिकाओं से Co₂ को फेफड़े तक लाता है, जो श्वासोच्छ्वास के द्वारा बाहर निकल जाता है।
(iii) यह पचे भोजन को छोटी आंत से शरीर के विभिन्न भागो में पहुँचाता है।
(iv) यह अतः स्त्रावी, ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित हॉर्मोन्स को लक्ष्य अंग तक पहुँचाता है।
(v)यह यकृत से यूरिया को गुर्दा तक पहुँचाता है।
(vi) रक्त पट्टिकाणु, रक्त के जमने में सहायक होते हैं।
6. मानव-हृदय का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर⇒
जिव-विज्ञान पाठ-1 जैव प्रक्रम का (दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) उत्सर्जन का सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर
(घ). उत्सर्जन |
1. मनुष्य के एक नेफ्रॉन का स्वच्छ आरेखी चित्र बनाएँ ?
उत्तर⇒
2. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
उत्तर⇒ कूपिका :
(i). कूपिका पतली, महीन, नाजुक सतहवाली होती है। इसमें गुब्बारे के समान संरचना पायी जाती है।
(ii). कूपिकाएँ केवल फेफड़ों में गैसो के आदान-प्रदान के लिए सतही क्षेत्र बढ़ाती है।
(iii) इसमें गैसों के आदान-प्रदान के लिए रूधिर कोशिकाओं का लम्बा-चौड़ा जाल होता है।
(iv) कूपिका इसकी सतह क्षेत्र को बढ़ा देती है, जिससे CO₂ का रूधिर से वायु में तथा O₂ का वायु से रूधिर में विसरण हो सके।
वृक्काणु :
(i).यह पतली, कप के समान आकृति जैसी संरचना है।
(ii).इसमें नलिकाकार हिस्से मूत्र को संग्राहक वाहिनी तक ले जाते
(iii). इसका काम छानने का है। इससे लाभप्रद पदार्थों तथा जल का पुनः अवशोषण होता है।
(iv).रूधिर को छानने के लिए तथा जल का पुनः अवशोषण के लिए इसका भी सतही क्षेत्र बढ़ जाता है। अंतिम उत्पाद के रूप में मूत्र बचता है।
जैव प्रक्रम सब्जेक्टिव दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर PDF
3. वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर⇒ वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना : वृक्क में बहुत पतली भित्ति वाली रूधिर कोशिकाओं का गुच्छा होता है। इसमें प्रत्येक कोशिका गुच्छ, एक नलिका के आकार के सिरे के अन्दर होता है। यह नलिका छने हुए मुत्र को एकत्र करती है। प्रत्येक वृक्क में ऐसे अनेक निस्पदंन वृक्क होते हैं जिन्हें नेफ्रॉन कहते हैं। प्रत्येक वृक्क में बनने वाला मूत्र एक लम्बी नलिका, मूत्र वाहिनी में प्रवेश करती है जो वृक्क को मूत्राशय से जोड़ती हैं वृक्काणु के कार्य : बोमेन संपुट के अन्दर कोशिका गुच्छे की कोशिकाएँ पाई जाती है। जिसके द्वारा रूधिर छाना जाता है। निस्पन्द वृक्काणु के नलिका से होकर गुजरती है। इसमें ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, यूरिक अम्ल, लवण तथा जल की अधिक मात्रा रह जाती है। फिर जैसे-जैसे ग्लूकोज, अमीनो अम्ल, लवण तथा जल को रूधिर कोशिकाओं द्वारा अवशोषित करता है। वैसे-वैसे शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा तथा विलय व्यर्थ (बेकार) पदार्थ उत्सर्जित करना उसी पर निर्भर करता है। फिर अवशोषण के बाद जो निस्यन्द बचता है उसे पेशाब कहते हैं। पोशाब में धुले हुए नाइट्रोजन युक्त उत्सर्जक यूरिया, यूरिक अम्ल, लवण एवं पानी होते हैं। इस प्रकार यह मूत्रवाहिनी द्वारा शरीर से बाहर निकलते हैं।
4. मनुष्य के मूत्रतंत्र का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ –
उत्तर⇒
Class 10th Science( Biology) Subjective Question 2023 ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
S.N | Class 10th Biology (जीव विज्ञान दीर्घ उत्तरीय प्रश्न) Question 2023 |
1. | जैव प्रक्रम |
2. | नियंत्रण एवं समन्वय |
3. | जीव जनन कैसे करते हैं |
4. | अनुवांशिकता एवं जैव विकास |
5. | हमारा पर्यावरण |
6. | प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन |
Class 10th Science ( Biology) Subjective Question 2023 ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
जीव विज्ञान ( BIOLOGY ) लघु उत्तरीय प्रश्न | |
1. | जैव प्रक्रम |
2. | नियंत्रण एवं समन्वय |
3. | जीव जनन कैसे करते हैं |
4. | अनुवांशिकता एवं जैव विकास |
5. | हमारा पर्यावरण |
6. | प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन |
Bihar Board Daily Online Test Class Xth | |
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