दोस्तों यहां पर क्लास 10th साइंस का क्वेश्चन आंसर (Class 10th Science Objective & Subjective Question Answer) दिया गया है तथा यहां पर क्लास 10th साइंस का मॉडल पेपर (Class 10th Science Model Paper 2023) तथा ऑनलाइन टेस्ट (Class 10th Science Online Test) भी दिया गया है वैसे विद्यार्थी जो मैट्रिक परीक्षा 2023 की तैयारी कर रहे हैं तो इस पेज में आपको क्लास 10th साइंस का सब्जेक्टिव विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव का दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर ( Vidyut Dhaara ke Chumbakeey Prabhaav Subjective Question Answer ) यहां पर दिया गया है तथा अगर आप लोग विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव का ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन आंसर पढ़ना चाहते हैं तो लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं
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Class 10th Science (विज्ञान) VVI Guess Paper Question Answer 2023
S.N | Science (विज्ञान) 📒 |
1. | Physics (भौतिक बिज्ञान) Guess Paper |
2. | Chemistry (रसायन शास्त्र) Guess Paper |
3. | Biology (जिव-विज्ञान) Guess Paper |
Bihar Board Class 10th Vidyut Dhaara ke Chumbakeey Prabhaav Subjective Question Answer
विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव ( 5 अंक स्तरीय प्रश्न ) |
Q1. कोई विधुतरोधी ताँबे के तार की कुंडली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक –
(I). कुंडली में धकेला जाता है।
(II). कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है।
(III). कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है।
उत्तर ⇒ (I). जैसे ही छड़ चुम्बक कुण्डली में धकेला जाता है वैसे ही गैल्वेनोमीटर की सूई में क्षणिक विक्षेप होता है। यह कुण्डली में विद्यत धारा की उपस्थिति का संकेत देता है।
(II).जब चुम्बक को कुण्डली के भीतर, से बाहर खींचा जाता है तो सूई में क्षणिक विक्षेपण होता है पर विपरीत दिशा में होता
(III).यदि चुम्बक को कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है तो कण्डली में कोई विधुत धारा उत्पन्न नहीं होती है। विक्षेपण शून्य हो जाता है।
Q2. नामांकित आरेख खींचकर किसी विधुत जनित्र (डायनेमो) का मूल सिद्धांत, बनावट तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ विधुत जनित्र एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदलती है।
सिद्धांत : विधुत जनित्र विधुत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है अर्थात् परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र के कारण चालक में विधुत धारा प्रेरित होती है। फ्लेमिंग के दाएँ हस्त के नियम से प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करते हैं। विधुत जनित्र आर्मेचर को शक्तिशाली चुम्बकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है जिसके कारण आर्मेचर से गुजरने वाली चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।
बनावट : एक सामान्य ए०सी० डायनामों के भिन्न भाग हैं।
I. स्थाई चुम्बक : इसमें एक शक्तिशाली स्थाई चुम्बक होती है।
II.कुण्डली एवं क्रोड : क्रोड के ऊपर बहुत सारे फेरे लगाकर एक कुण्डली बनाई जाती है। इसे आर्मेचर कहते हैं। आर्मेचर चुम्बक के ध्रुवों के मध्य घूर्णन करने के लिए स्वतंत्र होता है। इसको इंजन द्वारा लगातार घुमाया जाता है।
III. वलय : कुण्डली के दोनों सिरे R₁ तथा R₂ दो वलयों से जुड़े रहते हैं।
IV. ब्रुश : वलय R₁ तथा R₂ क्रमशः B तथा B, दो ब्रुश से जुड़े होते हैं। ब्रुशों को परिपथ से जोड़ दिया जाता है।
कार्यविधि :
I. आर्मेचर को यांत्रिक रूप से दो शक्तिशाली चुम्बकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है।
II.दो वलय भी घूमते हैं किन्तु दोनों वलय अलग-अलग दोनों कार्बन ब्रुशों के सम्पर्क में रहते हैं।
III. गति के समय जब AB भुजा ऊपर एवं CD नीचे की तरफ रहती है, आर्मेचर में धारा की दिशा A से B एवं C से D होती है।
IV. यदि आर्मेचर की भुजा CD ऊपर एवं AB नीचे हों तो फ्लेमिंग के दाएँ हस्त के नियम से धारा की दिशा D से C एवं B से A की तरफ हो जाती है। इस प्रकार आर्मेचर के एक घूर्णन में धारा की दिशा दो बार परिवर्तित होती है। अत: इस यंत्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है।
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Q3. विधुत मोटर का नामांकित चित्र आरेख खींचिए। इसका सिद्धांत तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विधुत मोटर में विभक्त वलय का क्या महत्व है?
उत्तर ⇒ विधुत मोटर एक ऐसी युक्ति है जो विधुत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करती है।
सिद्धांतः मोटर उस सिद्धांत पर कार्य करता है कि आयताकार कुण्डली को जब चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है और उसमें से धारा प्रवाहित की जाती है, तो कुण्डली पर बल कार्य करता है जो उसे लगातार घुमाता है।
संरचना : विधुत मोटर में विधुतरोधी तार की एक आयताकार कुंडली ABCD होती है। यह कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र के दो ध्रुवों के बीच इस प्रकार रखी होती है कि इसकी भुजाएँ AB तथा CD चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में लंबवत रहें। कुंडली के दो सिरे विभक्त वलय के दो अर्धभागों P तथा Q से संयोजित होते हैं। इन अर्ध भागों की भीतरी सतह विधुतरोधी होती है तथा धुरी से जुड़ी होती है। P तथा Q के बाहरी चालक सिरे क्रमशः दो स्थिर चालक ब्रुशों x तथा Y से स्पर्श करते हैं।
कार्यप्रणाली : विधुत धारा कुंडली में बिंदु x से प्रवेश होकर बिंदु Y से निकलती है। कुंडली में विधुत धारा इसकी भुजा AB में A से B की तरफ एवं भुजा CD में C से की तरफ प्रवाहित होती है।
अत: AB तथा CD में विधुत धारा की दिशा परस्पर विपरीत होती है। परिणामस्वरूप इन पर कार्य करने वाले बल भी विपरीत होंगे। फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार भुजा AB पर आरोपित बल इसे नीचे की ओर धकेलता है, जबकि भुजा CD पर आधारित बल इसे ऊपर की ओर धकेलता है। अत: अक्ष के चारों ओर मुक्त रूप से घूर्णन करने के लिए स्वतंत्र कुण्डली वामावर्त घूमती है। आधे घूर्णन में S का संपर्क ब्रुश x से होता है तथा R का संपर्क ब्रुश Y से होता है। अत: कुंडली में विधुत धारा की दिशा DCBA हो जाती है। धारा की दिशा बदलने से बलों की दिशा भी बदल जाती है। जिससे कुंडली की भुजा AB अब ऊपर की तरफ धकेली जाती है, तथा कुंडली की भुजा CD अब नीचे की ओर धकेली जाती है। अत: कुंडली एवं धुरी उसी दिशा में अब आधा घूर्णन और पूर्ण कर लेती हैं। प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद विधुत धारा के उत्क्रमित होने का क्रम बार-बार होता है। जिसके परिणामस्वरूप कुंडली एवं धुरी में निरंतर घूर्णन होता विभक्त वलय प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात् कुंडली में धारा की दिशा को परिवर्तित कर देते हैं।
Q4. निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-
I. किसी विधुत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र ।
II. किसी चुंबकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत स्थित, विधुत
धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल
III. किसी चुंबकीय क्षेत्र में किसी कुंडली के घूर्णन करने पर कुंडली में उत्पन्न प्रेरित विधुत धारा।।
अथवा निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए –
I. मैक्सवेल के दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम।
II. फ्लेमिंग का वामहस्त नियम।
III. फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम।
उत्तर ⇒ I. मैक्सवेल के दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम : यदि धारावाही तार को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ा जाए कि अंगूठा धारा की दिशा की ओर संकेत करता हो, तो हाथ की अन्य अंगुलियाँ चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा व्यक्त करेंगी।
II. फ्लेमिंग का वामहस्त नियम : यदि हम अपने बाएँ हाथ की तीन अंगुलियों मध्यमा, तर्जनी तथा अँगूठे को परस्पर लम्बवत फैलाएँ और यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा मध्यमा धारा की दिशा को दर्शाते हैं, तब अंगूठा धारावाही चालक पर लगे बल की दिशा को व्यक्त करता है।
III. फ्लेमिंग का दक्षिण हस्त नियम : यदि दाहिने हाथ का अंगूठा, तर्जनी और मध्यमा परस्पर समकोणिक इस प्रकार रखे गए हों कि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को सकत करती हो और अँगूठा गति की दिशा में हो, तो मध्यमा प्रेरित धारा की दिशा को संकेत करेगी।
Q5. सेल क्या है? सरल सेल की बनावट और कार्य प्रणाली का सचित्र वर्णन करें ?
उत्तर ⇒ सेल : सेल या बैट्री एक ऐसी युक्ति है, जो अपने अन्दर हो रहे रासायनिक अभिक्रियाओं द्वारा सेल के दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच विभवांतर बनाए रखती है।
सरल सेल की बनावट: सल्फ्यूरिक अम्ल और जल का 1:9 के अनुपात में बनाए गए घोल से काँच के बर्तन को तीन-चौथाई आयतन तक भर दिया जाता है। उसमें एक ताँबें की और एक जस्ते की प्लेट डाल दी जाती है। प्लेटों में पीतल के पेंच लगे रहते हैं। प्लेटों को सेल का इलेक्ट्रोड कहते हैं। एक प्लेट धन ध्रुव और एक प्लेट ऋण ध्रुव होता है।
कार्य प्रणाली: सेल के दोनों प्लेटों को जब बाहर से किसी चालक तार से जोड़ा जाता है, तब इलेक्ट्रॉन जस्ते की प्लेट से ताँबे के प्लेट की ओर तार से होकर प्रवाहित होते हैं क्योंकि जस्ते की प्लेट के विभव की तुलना में ताँबे की प्लेट का विभव अधिक होता है। सेल से धारा प्राप्त करने के लिए जिस ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वह ऊर्जा जस्ते और सल्फ्यूरिक अम्ल की रासायनिक अभिक्रिया से प्राप्त होती है। यहाँ जो ऊर्जा मुक्त होती है वह रासायनिक ऊर्जा है और यही ऊर्जा आवेशों के प्रवाह को चालू रखती है।
Vidyut Dhaara ke Chumbakeey Prabhaav class 10th Subjective Dirgh Uttareey Question Answer
Q6. दिष्ट धारा मोटर (विधुत मोटर) और डायनेमो (जनरेटर) में अन्तर लिखें ?
उत्तर ⇒ विधुत मोटर और डायनेमों में निम्नलिखित अंतर हैं-
विधुत मोटरः
I. यह विधुत धारा के चुम्बकीय प्रभाव पर कार्य करता है।
II. इसमें विधुत ऊर्जा का रूपान्तरण यांत्रिक ऊर्जा में होता है।
III. इससे यांत्रिक कार्य लिया जाता है।
IV. मोटर के परिभ्रमण की दिशा को फ्लेमिंग के बाएँ हाथ के नियम से ज्ञात करते हैं।
V. इसमें चुम्बकीय क्षेत्र में कुंडली से धारा बहाई जाती है, जिससे कुंडली घूमने लगती है।
डायनेमोः
I. यह विधुत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
II. इसमें यांत्रिक ऊर्जा का रूपान्तरण विधुत ऊर्जा में होता है।
III. इससे विधुत धारा उत्पन्न की जाती है।
IV. इसमें उत्पन्न धारा की दिशा को फ्लेमिंग के दाएँ हस्त नियम से ज्ञात किया जाता है।
v. यहाँ चुम्बकीय क्षेत्र में कुंडली को घुमाया जाता है जिससे र कुंडली में प्रेरित विधुत वाहक बल या धारा उत्पन्न होती है।
Q7. शुष्क सेल का सचित्र वर्णन करें ?
उत्तर ⇒ शुष्क सेल लेक्लांशी सेल का संशोधित रूप है, जिसमें कोई भी रासायनिक पदार्थ द्रव रूप में प्रयुक्त नहीं होता है। ऐसे सेल छोटे आकार के भी बनाए जाते हैं, जिनका उपयोग टार्च, कैल्कुलेटर आदि में किया जाता है।
बनावट : शुष्क सेल का मुख्य भाग चित्र में दर्शाया गया है इसमें जस्ते का बेलनाकार बर्तन होता है जिसके पेंदे पर टार पेपर का वाशर होता है। बेलनाकार बर्तन के बीचोबीच स्थित कार्बन-छड़ के ऊपर पीतल की एक टोपी लगी होती है, जो बाहरी परिपथ के लिए घन ध्रुव का कार्य करती है। कार्बन की छड़ धन-इलेक्ट्रोड का कार्य करती है। कार्बन की छड़ के चारो ओर एक थैले में मैंगनीज डाईऑक्साइड, अमोनियम क्लोराइड तथा जिंक क्लोराइड का चूर्णित मिश्रण भरा रहता है। थैले और जस्ते की दीवार के बीच एक प्रकार का लेई (Paste) भरा होता है, जो अमोनियम क्लोराइड, जिंक क्लोराइड और प्लास्टर ऑफ पेरिस के लेई का मिश्रण है। इस लेई को जिंक की दीवार से अलग करने के लिए कागज की पतली परत का प्रयोग किया जाता है। प्रतिक्रिया स्वरूप पैदा हुई गैस को बाहर निकालने के लिए अलकतरे की लेप में एक बारीक छिद्र छोड़ दिया जाता है।
क्रिया Zn पर : यहाँ NH₄CI की लेई विधुत अपघटय के रूप में कार्य करके NH₄+ और CI- आयनों में टूट जाती है। क्लोराइड आयन जस्ते की छड़ से क्रिया कर ZnCl₂ बनाता है तथा जस्ते पर 2-इलेक्ट्रॉन मुक्त करता है।
Zn → Zn++ – 2e- (जस्ते की दीवार पर)
Zn++ + 2Cl- → ZnCl₂
कार्बन छड़ पर : बाह्य परिपथ से Zn प्लेट पर मुक्त इलेक्ट्रॉन कार्बन-छड़ पर चले जाते हैं। कार्बन के पास
NH₄+ को ये इलेक्ट्रॉन प्राप्त होता है।
2NH₄+ + 2e- → 2NH₃ + H₂
2H₂ + 2MnO, → Mn₂O, + 2H₂O
यहाँ NH₄ गैस अलकतरे की बारीक छिद्र से निकल जाती है। सूखे सेल में विभवांतर 1.45 V होता है।
विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव प्रश्न उत्तर
Q8. विधुत फ्यूज के कार्य स्पष्ट करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन कीजिए ?
उत्तर ⇒ प्रयोग : इसके लिए हम एक बैट्री, कम वोल्ट का बल्ब, ऐलुमिनियम की पतली पत्ती (लगभग 5 cm), को लोहे की दो कील की मदद से जोड़ते हैं। ऐलुमिनियम की पत्ती लकड़ी के स्टैण्ड की मदद से ऊपर रखते हैं। परिपथ से विधुत धारा प्रवाहित करते हैं। धारा के बहते ही ऐलुमिनियम की पत्ती जल जाती है और परिपथ भंग हो जाता है।
विधुत फ्यूज इसी तरह अधिक धारा बहने से जलकर नष्ट हो . जाता है और सरक्षा का कार्य करता है।
Q9. ऑस्टैंड के प्रयोग का वर्णन कीजिए ?
उत्तर ⇒ जब किसी चालक से विधुत-धारा प्रवाहित की जाती है, तब चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
ऑस्टेंड के प्रयोग का वर्णन : इस प्रयोग में चालक तार AB को उत्तर-दक्षिण दिशा में तान दिया जाता है। तार के नीचे एक चुम्बकीय सूई NS रख दी जाती है। विधुत-धारा नहीं प्रवाहित होने की स्थिति में सूई पृथ्वी के चुम्बकत्व के कारण उत्तर-दक्षिण दिशा में स्थिर रहती है। सई की इस स्थिति को बिंदीदार रेखा से दिखाया गया है।
जब तार AB में विधुत-धारा प्रवाहित की जाती है तब सई विक्षेपित होकर लगभग तार के लंबवत् हो जाती है। तार से होकर प्रवाहित धारा की दिशा को उलट देने पर भी सूई का विक्षेप तार के लंबवत् तो होता ही है, पर इस बार सूई की ध्रुवों की स्थिति पहली बार की स्थिति के अपेक्षा विपरीत
आर्टेड के प्रयोगों से स्पष्ट है कि चुम्बकीय सूई का विक्षेप की दिशा धारा की दिशा पर तो निर्भर करती ही है, इसके साथ इस स्थिति पर भी निर्भर करती है कि तार चुम्बकीय सूई के ऊपर है या नीचे।
Class 10th Science (Physics) Subjective Question 2023 ( दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )
S.N | SCIENCE ( विज्ञान ) SUBJECTIVE |
S.N | Class 10th Physics (भौतिक दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ) |
1. | प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन |
2. | मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार |
3. | विधुत धारा |
4. | विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव |
5. | ऊर्जा के स्रोत |
Class 10th Science (Physics) Subjective Question 2023 ( लघु उत्तरीय प्रश्न )
भौतिक विज्ञान ( PHYSICS ) लघु उत्तरीय प्रश्न | |
1. | प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन |
2. | मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार |
3. | विधुत धारा |
4. | विधुत धारा के चुंबकीय प्रभाव |
5. | ऊर्जा के स्रोत |
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